टाटा की नौकरी छोड़कर शुरू की खेती, सालाना कमाई जान कर हो जाएंगे हैरान, जानिए सुधांशु कुमार की किसानी का राज
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आज के समय में हर युवा नौकरी करना चाहता है चाहे उसके पास अपनी कितनी भी खेती योग्य भू्मि क्यों ना हों। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे जिसने नौकरी छोड़कर खेती करनी शुरू कर दी और औज हर साल 80 लाख ऱुपए से ज्यादा की कमाई कर रहा है। ये किसान बिहार के समस्तीपुर जिले का रहने वाला है। हालांकि किसान बनने की उनकी राह आसान नहीं थी। घर वाले उसे आईएएस-आईपीएस बनाना चाहते थे। लेकिन जिद कर उन्होंने खेती शुरू की और आज नतीजा सबके सामने है। 58 वर्षीय यह किसान परंपरागत खेती नहीं करते बल्कि पूरी तरह टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर किसानी करते हैं। खेती में अपनी सफलता के लिए वे टेक्नोलॉजी को श्रेय देते हैं।
किसान सुधांशु कुमार अपनी 60 एकड़ जमीन पर आम, केला, अमरूद, जामुन, लीची, ब्राजीलीयन स्वीट लाइम और ड्रैगन फ्रूट के अलावा कई अन्य फल और सब्जियों के 28 हजार पेड़ लगाए हैं। इनके उत्पादों को बेचकर वे सलाना 80 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, सुंधाशु कुमार 1990 से खेती कर रहे हैं और वैज्ञानिक तरीके से किसानी कर अपनी उपज बढ़ा कर ज्यादा से ज्यादा कमाई कर रहे हैं।
अपनी खेती-किसानी की यात्रा के बारे में बात करते हुए सुंधाशु कुमार कहते हैं कि इसकी शुरुआत टाटा टी गार्डन, मुन्नार में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी ठुकराने के साथ हुई। केरल से वे अपने घर खेती करने के लिए आ गए, लेकिन उनकी राह आसान नहीं थी। वे कहते हैं कि मेरे दादा जी खेती करते थे और मैं उन्हीं की परंपरा को आगे बढ़ाना चाहता था लेकिन मेरे पिता मुझे सिविल सर्विस में भेजना चाहते थे। काफी कोशिशों के बाद मेरे पिता ने अनमने मन से मुझे पांच एकड़ जमीन पर खेती करने की अनुमति दे दी।
सुधांशु कुमार बताते हैं, ‘पिता ने टेस्ट करने के लिए मुझे अच्छी जमीन नहीं दी। लेकिन मैंने टेक्नोलॉजी का सहारा लिया और डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के वैज्ञानिक से बात कर खेती शुरू कर दी। 25 हजार रुपए लगाने और एक साल की कड़ी मेहनत के बाद मुझे उस खेत से 35 लाख रुपए की कमाई हुई। यह अपने आप में एक बड़ी रकम थी। जो खेत मुझे दिया गया था, उससे कभी भी 15 हजार से ज्यादा की कमाई नहीं हुई थी। आज के समय में सुधांशु उसी पांच एकड़ जमीन में खेती कर 13 लाख रुपए कमा रहे हैं।
वर्तमान में सुधांशु 200 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं। इसमें से 60 एकड़ जमीन पर माइक्रो इरिगेशन और 35 एकड़ जमीन पर ऑटोमेटेड तरीके से खेती होती है। वे कहते हैं कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से मैं गुणवत्तापूर्ण खेती कर पा रहा हूं। टेक्नोलॉजी के कारण ही उत्पादन ज्यादा होता है और पारंपरिक खेती के मुकाबले तीन गुना कमाई हो रही है।
सुधांशु कुमार की किसानी में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सबसे अहम है। सुधांशु ने एक कंट्रोल रूम बना रखा है, जिसमें एक बटन दबाने से ही सिंचाई से लेकर खाद का छिड़काव तक सब ऑटोमेटेड तरीके से हो जाता है। वे बताते हैं कि कंट्रोल रूप से ही बागान में ड्रिप और माइक्रो स्प्रिंकलर सिस्सट से सिंचाई हो जाती है। कंट्रोल रूम में बने टैंक से ड्रिप के माध्यम से खाद का छिड़काव हो जाता है। कब सिंचाई करनी है या खाद कब डालना है, इसके लिए सुधांशु अपने बागान में नहीं जाते। कंट्रोल रूम ही इस बारे में जानकारी दे देता है।