Haryana News: हरियाणा में सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों को मिलेंगे लाखों रुपए, जानें पूरी खबर

हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने आज सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा हरियाणा में सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों के कैशलेस निःशुल्क उपचार के लिए शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबंधित पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की तथा उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
इसके साथ ही कपूर ने केंद्रीय मोटर वाहन (11वां संशोधन) नियम, 2020 की धारा 167 (8) की अनुपालना सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। बैठक में हिट एंड रन मामलों में पीड़ितों को दिए जाने वाले मुआवजे पर भी चर्चा की गई।
यह बैठक पंचकूला स्थित पुलिस मुख्यालय में हुई, जिसमें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, यातायात एवं राजमार्ग हरदीप दून मौजूद रहे, जबकि राज्य के अन्य वरिष्ठ यातायात अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।
कपूर ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों के कैशलेस निःशुल्क उपचार के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा कैशलेस योजना शुरू की गई है। श्री कपूर ने प्रदेश में इस योजना के तहत किए गए कार्यों की समीक्षा की तथा कहा कि यह योजना भारत सरकार द्वारा पायलट आधार पर चलाई जा रही है,
जिसके तहत प्रत्येक सड़क दुर्घटना के लिए प्रति व्यक्ति 1.5 लाख रुपए तक का उपचार सड़क दुर्घटना की तिथि से अधिकतम 7 दिन की अवधि तक निशुल्क प्रदान किया जाता है। इसके लिए हरियाणा में 1228 सरकारी व निजी अस्पतालों को अनुबंधित किया गया है।
भारत सरकार की इस योजना को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा गया है। कपूर ने कहा कि सभी संबंधित पुलिस अधिकारियों को पता होना चाहिए कि उन्हें घायल व्यक्ति की कब, क्या व कैसे मदद करनी है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति के उपचार के लिए पहला एक घंटा बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि इस अवधि में व्यक्ति का उचित उपचार हो जाए तो उसकी जान को खतरा कम हो जाता है।
कपूर ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे अस्पताल प्रबंधन व एंबुलेंस के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करें तथा जैसे ही घायल व्यक्ति के बारे में थाने में सूचना मिले तो पहले 6 घंटे के भीतर सूचना का सत्यापन करें ताकि घायल व्यक्ति को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने साफ कहा कि पुलिस अधिकारी अपने अधीन इमरजेंसी रिस्पांस व्हीकल यानि ईआरवी पर तैनात पुलिसकर्मियों, राइडर आदि को घायल व्यक्ति के उपचार के लिए ब्रीफ करें ताकि उनमें किसी प्रकार का संदेह न रहे।
उन्होंने साफ कहा कि सड़क दुर्घटना होने पर अस्पताल द्वारा ई-डार नामक सॉफ्टवेयर के माध्यम से संबंधित थाने को सूचना भेजी जाती है, जिसके बाद संबंधित थाना पुष्टि करता है कि व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल हुआ है या नहीं।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह गर्व की बात है कि वर्ष 2024 में पिछले वर्ष की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में करीब 300 लोगों की कम मौत हुई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में हमारा लक्ष्य सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में कम से कम 25 प्रतिशत की कमी लाना है।
उन्होंने साफ कहा कि पुलिस अधिकारी अपने अधीन इमरजेंसी रिस्पांस व्हीकल यानि ईआरवी पर तैनात पुलिसकर्मियों, राइडर आदि को घायल व्यक्ति के उपचार के लिए ब्रीफ करें ताकि उनमें किसी प्रकार का संदेह न रहे।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सड़क दुर्घटना होने पर अस्पताल ई-डीएआर नामक सॉफ्टवेयर के जरिए संबंधित पुलिस स्टेशन को सूचना भेजता है, जिसके बाद संबंधित पुलिस स्टेशन पुष्टि करता है कि व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल हुआ है या नहीं।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह गर्व की बात है कि वर्ष 2024 में पिछले वर्ष की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 300 कम मौतें हुई हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में हमारा लक्ष्य सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या को पिछले वर्ष की तुलना में कम से कम 25 प्रतिशत कम करना है।