जहां भक्ता की भक्ति और आस्था के कारण भक्त के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया भगवान का नाम
जिसके बाद उनके नाम के साथ ही जुड़ गया गणपति का भी नाम.
भगवान गणेश के आशीर्वाद से ही मोरया गोसावी का जन्म हुआ था
मोरया चिंचवाड़ से मोरगांव गणेश की पूजा करने के लिए पैदल जाया करते थे.
खुद भगवान गणेश उनके सपने में आए और उनसे कहा कि उनकी मूर्ति उन्हें नदी में मिलेगी.
जब भक्त गोसावी जी के पैर छूकर मोरया कहते और संत मोरया अपने भक्तों से मंगलमूर्ति कहते थे