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हरियाणा ने जिसे समर्थन दिया, उसी पार्टी ने केंद्र में सरकार बनाई; जानें इस बार क्या माहौल है

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चंडीगढ़ | देशभर में लोकसभा चुनावों का प्रचार- प्रसार जोरों से चल रहा है. कुल 8 चरण में वोटिंग होगी और उसके बाद नतीजे तय करेंगे कि दिल्ली की गद्दी किसके भाग्य में होगी.

वहीं, दिल्ली से सटे हरियाणा प्रदेश की बात करें तो यहां सभी 10 लोकसभा सीट पर 25 मई को वोट डाले जाएंगे. हरियाणा के मतदाताओं का रूझान दिल्ली में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.

हरियाणा का साथ, दिल्ली में सरकार

हरियाणा के जिक्र को हम इसलिए तवज्जो दे रहे हैं क्योंकि हरियाणा राज्य जिस भी पार्टी का खुलकर साथ देता है, तो केन्द्र में उसी की सरकार बनती है. अगर अब तक के चुनावी इतिहास पर नजर डालें, तो सिर्फ एक बार को छोड़कर हर बार यह बात सच साबित हुई है.

पिछले 2 चुनावों में मोदी बने पहली पसंद

साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो हरियाणा के मतदाताओं की पहली पसंद भारतीय जनता पार्टी बनी थी.

2014 में बीजेपी ने यहां पर 10 में से 7 सीटें जीती थीं और केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी. इसी तरह 2019 में बीजेपी ने हरियाणा में सभी 10 लोकसभा सीट पर जीत दर्ज कर नरेन्द्र मोदी को लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री के पद पर बैठाया.

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UPA सरकार का गठन

वहीं, साल 2004 और 2009 लोकसभा चुनाव की बात करें तो हरियाणा में कांग्रेस पार्टी को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ था.

इन दोनों ही लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को हरियाणा में 9 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में UPA सरकार का गठन हुआ.

NDA की बनी सरकार

साल 1996 और 1999 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो साल 1996 में बीजेपी और उसकी सहयोगी हरियाणा विकास पार्टी ने 10 में से 7 सीटें जीती थीं तो वहीं 1999 में बीजेपी और इनेलो ने सभी 10 सीटों पर जीत का परचम लहराया था, जिसके बाद केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में NDA सरकार का गठन हुआ था.

इस बार कैसा है माहौल?

हरियाणा में बीजेपी सभी 10 लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी हैं तो वहीं कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर रहेगी और कुछ सीटों पर मुकाबला बेहद नजदीकी रहने वाला है.

साथ ही, इनका ये भी मानना है कि बीजेपी के पुराने सहयोगी JJP और INLD एक या 2 सीटों पर किसी भी पार्टी का खेल बिगाड़ने में सक्षम है.

 

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