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IAS KANISKA SUCCESS STORY: UPSC परीक्षा क्रैक करने वाली कनिष्का ने दूसरे अटेम्प्ट में पाई कामयाबी, कुछ ऐसा रहा कनिष्का का सफर

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IAS KANISKA SUCCESS STORY: दिल्ली की कनिष्का सिंह की यूपीएससी जर्नी बहुत लंबी नहीं रही। साल 2018 में दूसरे ही प्रयास में उनका सेलेक्शन हो गया और वे भारतीय विदेश सेवा के लिए चयनित हो गईं। इसके पहले कनिष्का ने साल 2017 में पहला अटेम्प्ट दिया था जिसमें वे प्री परीक्षा भी पास नहीं कर पायी थी। हालांकि कनिष्का ने असफलता के इस सफर को बहुत जल्दी ही सफलता में बदल दिया। कनिष्का ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन किया है और इसी कारण उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में भी अपना ऑप्शनल साइकोलॉजी ही चुना।

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The UPSC Journey of Delhi's Kanishka Singh was not very long. In the year 2018, she got selected in the second attempt and she got selected for the Indian Foreign Service. Earlier, Kanishka gave her first attempt in the year 2017 in which she could not even clear the pre-examination. However, Kanishka quickly turned this journey of failure into success. Kanishka has done her graduation in Psychology from Lady Shri Ram College, Delhi and that is why she chose psychology as her optional in UPSC exam as well.

पहले प्रयास की सबसे बड़ी गलती

कनिष्का मानती हैं कि उनके पहले अटेम्प्ट की सबसे बड़ी गलती यह थी कि उन्होंने प्री परीक्षा के लिए जरूरत भर के मॉक्स नहीं दिए थे। मॉक्स न दे पाने के कारण वे प्री स्टेज से ही बाहर हो गई थी। अगली बार उन्होंने अपनी इस कमी को दूर किया और पहले अटेम्प्ट में जहां केवल दस के करीब मॉक टेस्ट दिए थे, वहीं दूसरे अटेम्प्ट में इनकी संख्या बढ़कर 60 तक पहुंच गई।

Kanishka admits that the biggest mistake of her first attempt was that she did not give enough mocks for the pre-exam. Due to not being able to give mocks, she was out of the pre stage itself. Next time she removed this shortcoming and in the first attempt, where she gave only ten mock tests, in the second attempt, her number increased to 60.


 
इस बारे में आगे एक्सप्लेन करते हुए कनिष्का कहती हैं कि केवल मॉक टेस्ट देना ही काफी नहीं होता बल्कि उनको रिवाइज करना भी जरूरी होता है। आपने पेपर में जो गलतियां की हैं, उनको दूर करें और बार-बार रिवाइज करें। प्री परीक्षा में सफलता पाने का एकमात्र तरीका यही है।

आंसर राइटिंग का बेस्ट समय

जहां प्री के लिए कनिष्का मॉक टेस्ट्स को जरूरी मानती हैं, वहीं मेन्स के लिए आंसर राइटिंग की अहमियत को सबसे अधिक कहती हैं। हालांकि उनका कहना है कि आंसर राइटिंग का बेस्ट समय होता है प्री और मेन्स के बीच का। वे कहती हैं कि बहुत शुरू में ही आंसर राइटिंग न शुरू करें क्योंकि इस समय आपके पास कंटेंट ही नहीं होता और बिना कंटेंट के आप क्या लिखने का अभ्यास करेंगे। इसलिए दिसंबर या जनवरी में यह अभ्यास कार्य शुरू करें, बेस्ट होगा प्री के बाद इसे आरंभ करना।

While for Pre, Kanishka considers mock tests to be essential, for Mains, she says the importance of answer writing the most. However, she says that the best time for answer writing is between pre and mains. She says that do not start answer writing very early because at this time you do not have content and without content what you will practice writing. So start this exercise work in December or January, best to start it after Pre.

एक समय में एक ही विषय पढ़ती थी

कनिष्का कहती हैं कि उनका तरीका यह था कि वे एक समय में एक ही विषय पढ़ती थी जैसे अगर उन्हें इस महीने हिस्ट्री पढ़नी है तो वे केवल हिस्ट्री पढ़ेंगी। हालांकि वे दूसरे कैंडिडेट्स को यह सजेस्ट करती हैं कि अगर आप एक समय में दो विषय पढ़ सकते हैं तो अच्छा है और अपनी स्ट्रेटजी इसी के हिसाब से बनाएं। अपनी स्ट्रेंथ और वीकनेस पहचानें और स्ट्रेंथ को और स्ट्रांग करें और वीकनेस को दूर करने के लिए काम करें।

Kanishka says that her method was that she used to study only one subject at a time like if she has to study history this month then she will study only history. However, they suggest to other candidates that if you can study two subjects at a time, then it is good and make your strategy accordingly. Recognize your strengths and weaknesses, build on your strengths and work to overcome 

साइकोलॉजी है बढ़िया विकल्प

अपनी बातचीत में कनिष्का आगे बताती हैं कि साइकोलॉजी एक बहुत ही बढ़िया विषय है। जिसमें वे लोग भी एक्सेल कर सकते हैं जिन्होंने इसे पहले नहीं पढ़ा है। दरअसल इसमें तकनीकी कुछ भी न होने के कारण इसे पढ़ना और समझना आसान होता है। वे कहती हैं कि उन्होंने भी इस विषय के साथ किसी प्रकार की कोई परेशानी महसूस नहीं की। इसकी दूसरी अच्छी बात यह है कि ये एथिक्स के पेपर में बहुत मदद करता है, जब इसमें पढ़ी चीजें आप एथिक्स के साथ लिंक करके लिख पाते हैं। इससे आपका उत्तर प्रभावशाली बनता है और अंक अच्छे मिलते हैं।

IN her conversation, Kanishka further says that Psychology is a very good subject. In which even those who have not read it before can excel. Actually, due to nothing technical in it, it is easy to read and understand. She says tIn INhat she too did not feel any problem with the subject. Its second good thing is that it helps a lot in the paper of ethics, when you can write the things studied in it by linking it with ethics. This makes your answer effective and gives you good marks.


 
कनिष्का कहती हैं कि साइकोलॉजी विषय में बॉडी लैंग्वेज पर भी काफी बात होती है जो आपको इंटरव्यू के समय हेल्प करता है। आप इससे जानकारी इकट्ठा करके उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। यही नहीं वे साइकोलॉजी को एक ऐसा विषय मानती हैं जिसके उत्तर न आने पर भी आप कुछ न कुछ अच्छा तो लिख ही सकते हैं। कहीं से कोई केस स्टडी या एग्जाम्पल उठाकर उसे प्रश्न से लिंक करके जवाब दिया जा सकता है। कनिष्का के ऑप्शनल में 281 अंक आए थे।

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