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IAS Success Story : बचपन में छात्र की पेंसिल ने छीन ली थी आंख की रोशनी, अब बनीं देश की पहली नेत्रहीन IAS, पढ़िए प्रांजल की सफलता की कहानी

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नेत्रहीन IAS, प्रांजल

कभी रेलवे एग्जाम में रिजेक्ट होने वाली प्राजंल ने मात्र 28 वर्ष की उम्र में दूसरे ही प्रयास में आईएएस की परीक्षा पास कर साबित कर दिया कि हौंसलों के आगे हर कठिनाई, हर चुनौती हार जाती है। प्राजंल ने मात्र छह वर्ष की उम्र में एक हादसे के कारण अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार सतत प्रयास करती रही और आज उस मुकाम पर पहुंच गई जहां पहुंचने में अच्छे-अच्छों को जोर आ जाती है।

ias success story of pranjal patil

ये कहानी महाराष्ट्र के उल्हासनगर की प्रांजल पाटिल की है। प्रांजल देख नहीं सकती हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा कर दिखाया जिसका सपना आंखों से सक्षम लोग भी देखते हैं। प्रांजल ने पहले ही अटेंप्ट में साल 2016 में सिविल सर्विस एग्जाम क्लियर किया। उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 773 हासिल की थी।

प्रांजल ने एक आंख की रौशनी छठी क्लास में खो दी थी। एक स्टूडेंट से उनकी आंख मे पेंसिल लग गई थी। लेकिन उसके अगले ही साल उन्होंने अपनी दूसरी आंख की रौशनी भी खो दी। दोनों आंखों की रौशनी चले जाने के बाद भी प्रांजल ने हार नहीं मानीं।

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ब्रेल लिपि से पढ़ाई रखी जारी

प्रांजल ने ब्रेल लिपि के जरिए पढ़ाई जारी रखी। साथ ही उन्होंने एक ऐसे सॉफ्टवेयर की भी मदद ली, जिससे वे शब्द दर शब्द सुन पाती थीं। तकनीक का जितना साथा मिला प्रांजल ने खुद को उतना मजबूत बनाया। वे बचपन से ही करियर चुनने को लेकर बेहद गंभीर थीं।

Pranjal continued his studies through Braille script. Along with this, she also took the help of such a software, through which she could listen word by word. Pranjal made himself stronger the more she got the support of technology. She was very serious about choosing a career since childhood.

IAS बनने की ठानी

प्रांजल ने इंडियन रेलवे अकाउंट्स सर्विस (IRAS) एग्जाम पास किया, इस एग्जाम में उन्होंने 773वीं रैंक हासिल की। लेकिन रेलवे सर्विस डिपार्टमेंट ने उन्हें न देख पाने की वजह से जॉब ऑफर नहीं की। दरअसल रेलवे के नियमों के मुताबिक, नेत्रहीन उनके यहां नौकरी के लिए अयोग्य है। रेलवे में जॉब न कर पाने का पांजल को बेहद दुख हुआ, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। प्रांजल ने आईएएस बनने की ठानी। उन्‍होंने साल 2016 में पहली बार UPSC की परीक्षा दी थी।

Pranjal passed the Indian Railway Accounts Service (IRAS) exam, securing 773rd rank in this exam. But the Railway Service Department did not offer the job because of not seeing her. In fact, according to the rules of the Railways, blind people are ineligible for their jobs. Panjal felt very sad for not being able to get a job in the railways, but she did not lose her courage. Pranjal decided to become an IAS. She had given UPSC exam for the first time in the year 2016.

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दूसरे प्रयास में मिली सफलता

प्रांजल को पहले प्रयास में 733 वीं रैंक हासिल हुई। रैंक सुधारने के लिए प्रांजल ने एक बार दोबारा प्रयास किया। उन्‍होंने दोबारा पढ़ाई शुरू की। इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2017 में उन्‍होंने 124वीं रैंक हासिल की। प्रांजल मानती हैं - सफलता प्रेरणा नहीं देती, सफलता के पीछे का संघर्ष प्रेरणा देता है। लेकिन सफलता महत्वपूर्ण है क्योंकि तभी लोग आपके संघर्ष को जानने के इच्छुक होंगे।

Pranjal secured 733rd rank in the first attempt. Pranjal tried once again to improve the rank. She started her studies again. This time her hard work paid off and in the year 2017, she secured 124th rank.

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