Jobs Haryana

झोपड़ी में रहकर की चौकीदार की नौकरी, अब अपनी मेहनत से बने आईआईएम के प्रोफेसर

Chopal Tv, New Delhi अगर मेहनत सच्चे दिल से की जाए तो एक दिन जरुर कामयाब होती है। और ऐसी ही कामयाबी की मिशाल है आईआईएम के एक प्रोफेसर। जिन्होंने अपने मुश्किल वक्त में चौकरीदार की नौकरी भी की। लेकिन एक झोपड़ी जैसे घर में रहते हुए उन्होंने अपने सपने पूरे किए। हम बात कर
 | 

Chopal Tv, New Delhi

अगर मेहनत सच्चे दिल से की जाए तो एक दिन जरुर कामयाब होती है। और ऐसी ही कामयाबी की मिशाल है आईआईएम के एक प्रोफेसर। जिन्होंने अपने मुश्किल वक्त में चौकरीदार की नौकरी भी की। लेकिन एक झोपड़ी जैसे घर में रहते हुए उन्होंने अपने सपने पूरे किए।

झोपड़ी में रहकर की चौकीदार की नौकरी, अब अपनी मेहनत से बने आईआईएम के प्रोफेसर

हम बात कर रहे है रंजीत रामचंद्रन की। जिन्होंने फेसबुक पर अपने घर की तस्वीर शेयर की है। तस्‍वीर में एक छोटी झुग्गी दिख रही है, जिसमें बारिश के पानी से बचने के लिए तिरपाल लगी हुई है। अब जब रंजीत का आईआईएम में प्रोफेसर बने तो उन्होंने अपने शुरुआती दिनों को याद किया।

झोपड़ी में रहकर की चौकीदार की नौकरी, अब अपनी मेहनत से बने आईआईएम के प्रोफेसर

रंजीत रामचंद्रन ने इस मौके पर फेसबुक पर अपने घर की एक तस्वीर शेयर की है, जिसमें लिखा है – IIM के प्रोफेसर का जन्म इसी घर में हुआ था। प्लास्टिक और ईंट से बना ये छोटा सा घर किसी झुग्गी की तरह दिखता है। इस पोस्ट में उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी बयां की है।

झोपड़ी में रहकर की चौकीदार की नौकरी, अब अपनी मेहनत से बने आईआईएम के प्रोफेसर

केरल के फाइनेंस मिनिस्टर टीएम थामस इसाक ने फेसबुक पर रामचंद्रन को बधाई दी है। मुश्किलों दिनों में रामचंद्रन कासरगोड के पनाथुर में एक BSNL टेलीफोन एक्सचेंज में नाइट गार्ड का काम कर रहे थे, जबकि उन्होंने जिले के पियस एक्स कॉलेज से अपनी अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल की।

झोपड़ी में रहकर की चौकीदार की नौकरी, अब अपनी मेहनत से बने आईआईएम के प्रोफेसर

उन्होंने बताया कि मैंने दिन के समय कॉलेज में पढ़ाई की और रात में टेलीफोन एक्सचेंज में काम किया। उन्होंने अपनी पोस्ट में बताया कि स्नातक के बाद वो IIT मद्रास में आए जहां पढ़ाई करना उनके लिए मुश्किल हो रहा था, क्योंकि वो सिर्फ मलयालम जानते थे।

झोपड़ी में रहकर की चौकीदार की नौकरी, अब अपनी मेहनत से बने आईआईएम के प्रोफेसर

उन्होंने कहा कि मैंने PhD को बीच में छोड़ने का फैसला किया, लेकिन उनके गाइड ने ऐसा करने से मना किया और फिर मैंने अपने सपनों को पूरा करने का फैसला किया। पिछले साल अपनी PhD पूरी कर की। इसके बाद पिछले 2 महीनों से बेंगलुरु के क्रिस्ट यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर थे।

झोपड़ी में रहकर की चौकीदार की नौकरी, अब अपनी मेहनत से बने आईआईएम के प्रोफेसर

मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह पोस्ट इतना अधिक वायरल होगी। मुझे उम्मीद है कि इससे अन्य लोगों को प्रेरणा मिलेगी। मैं चाहता हूं कि हर कोई अच्छे सपने देखे और उन सपनों को पूरा करे।

 

Latest News

Featured

You May Like