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बेटे को पढाने के लिए मां ने बेची सब्जियां और पिता ने की खेतों में मजदूरी, बेटे ने प्रथम श्रेणी से पास की यूपीएससी की परीक्षा

Jobs Haryan, Success Story Of Sharan Kamble अगर सपने बडें हों और उनको पूरा करने का होसला हो तो कितनी भी कठिनाइयां क्यों ना आएं एक न एक दिन मंजिल मिल ही जाती है। आज हम Success Story में एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिसकी आर्थिक स्थिती कमजोर होने के बाद
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बेटे को पढाने के लिए मां ने बेची सब्जियां और पिता ने की खेतों में मजदूरी, बेटे ने प्रथम श्रेणी से पास की यूपीएससी की परीक्षा

Jobs Haryan, Success Story Of Sharan Kamble

अगर सपने बडें हों और उनको पूरा करने का होसला हो तो कितनी भी कठिनाइयां क्यों ना आएं एक न एक दिन मंजिल मिल ही जाती है। आज हम Success Story में एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिसकी आर्थिक स्थिती कमजोर होने के बाद भी अपनी मेहनत और लगर से अपना सपना पूर कर अपने माता पिता का नाम रोशन किया है।

बेटे को पढाने के लिए मां ने बेची सब्जियां और पिता ने की खेतों में मजदूरी, बेटे ने प्रथम श्रेणी से पास की यूपीएससी की परीक्षा

ये कहानी है महाराष्ट्र के सोलापुर में खेत में मजदूरी करके पेट पालने वाले के बेटे की। मजदूर का बेटा शरण कांबले जिसने यूपीएसी की परीक्षा ही में ना सिर्फ प्रथम श्रेणी में पास हुआ है बल्कि उसने देशभर में आठवां स्थान भी हासिल किया है। शरण की इस सफलता पर उनके गांववाले भी खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। रविवार रात को बारशी तहसील में गांवालों ने शरण को कंधे पर उठाकर जुलूस निकाला। आइए जानते है इनके संघर्ष की कहानी बताई।

बेटे को पढाने के लिए मां ने बेची सब्जियां और पिता ने की खेतों में मजदूरी, बेटे ने प्रथम श्रेणी से पास की यूपीएससी की परीक्षा

शरण ने बताया कि उनका घर आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। उनके माता-पिता जैसे-तैसे घर चलाते थे। शरण के मुताबिक उन्होंने अपने जीवन में कई ऐसे दिन भी देखे हैं जब उनके पूरे परिवार को भूखे पेट दिन गुजारने पडे थे। शरण के ने बताया कि बचपन से ही उनको पढ़ाई-लिखाई करने का बहुत शोक था। ऐसे में उनके माता-पिता ने उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाने का फैसला लिया था।

बेटे को पढाने के लिए मां ने बेची सब्जियां और पिता ने की खेतों में मजदूरी, बेटे ने प्रथम श्रेणी से पास की यूपीएससी की परीक्षा

शरण की पढ़ाई में बाधा ना आए इसके लिए उनकी मां सब्जियां बेचती थीं और उनके पिता खेत में मजदूरी का काम किया करते थे। शरण के माता-पिता की कड़ी मेहनत और शिक्षा दिलाने के संकल्प के चलते ही शरण के बड़े भाई ने भी बीटेक किया और नौकरी हासिल की। आर्थिक स्थिति में थोड़े सुधार के बाद शरण को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली भेज दिया गया।

बेटे को पढाने के लिए मां ने बेची सब्जियां और पिता ने की खेतों में मजदूरी, बेटे ने प्रथम श्रेणी से पास की यूपीएससी की परीक्षा

सोलापुर जिले के बारशी तालुका में तडवले गांव के गोपीनाथ और सुदामती कांबले ने दिन भर दूसरे लोगों के खेतों में काम कर और रात में ज्वार की कटाई के काम से अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया और इस काबिल बनाया है। बेटे की सफलता पर उनके पिता मासूमियत भरे अंदाज में कहते हैं, “मुझे नहीं पता कि मेरा बेटा कहा तक और क्या पढ़ा है लेकिन मुझे पता है कि वह एक मास्टर बन गया।” कांबले परिवार मानता है कि परिवर्तन के चमत्कार केवल शिक्षा के माध्यम से हो सकते हैं। बच्चों को कड़ी मेहनत के माध्यम से सिखाया जाता है।उनके बच्चों ने अपने माता-पिता की कड़ी मेहनत को स्वर्णिम बना दिया। कांबले परिवार को इस पर गर्व है।

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