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बचपन में इंग्लिश पढने का सपना नही हुआ पूरा तो खोल दिया खुद का इंग्लिश मीडियम स्कूल, बच्चों को देतें है फ्री शिक्षा

Jobs Haryana, Success Story of Haji Abdul Sattar बचपन से किसी ना किसी को देखकर उसके जैसा बनने का या कुछ बेहतर करने का हर किसी का सपना होता है । कुछ का तो वो सपना पूरा हो जाता है लेकिन कुछ लोग का किसी न किसी कारण से वो एक सपना ही बनकर रह
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बचपन में इंग्लिश पढने का सपना नही हुआ पूरा तो खोल दिया खुद का  इंग्लिश मीडियम स्कूल, बच्चों को देतें है फ्री शिक्षा

Jobs Haryana, Success Story of Haji Abdul Sattar

बचपन से किसी ना किसी को देखकर उसके जैसा बनने का या कुछ बेहतर करने का हर किसी का सपना होता है । कुछ का तो वो सपना पूरा हो जाता है लेकिन कुछ लोग का किसी न किसी कारण से वो एक सपना ही बनकर रह जाता है। आज हम एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिसका बचपन से ही अंग्रेजी पढ़ने का शौक था, लेकिन परिवार की आर्थिक तंगी की वजह से इंग्लिश मीडियम स्कूल में नहीं पढ़ पाए।

बचपन में इंग्लिश पढने का सपना नही हुआ पूरा तो खोल दिया खुद का  इंग्लिश मीडियम स्कूल, बच्चों को देतें है फ्री शिक्षा

ये कहानी है बिहार के भागलपुर निवासी हाजी अब्दुल सत्तार की। लेकिन उन्होनें ठाना कि जो मेरा सपना पैसे की तंगी के कारण पूरा नही हो सका वैसे ही अन्य किसी बच्चे का पैसे के अभाव में अंग्रेजी मीडियम स्कूल में का सपना ना टूटे, इसलिए उन्होंने खुद एक स्कूल खोल दिया, जहां बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देते हैं।

हबीबपुर के इमामपुर मोहल्ला में उन्होंने अपने घर पर दस साल पहले एक अंग्रेजी स्कूल (एसआर एकेडमी) की शुरुआत की। हाजी अब्दुल ने पहले 60 बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाना शुरू किया, लेकिन आज तकरीबन हर समुदाय से 150 बच्चे पढ़ते हैं। किसी भी बच्चों से फीस नहीं लिया जाता है।

बचपन में इंग्लिश पढने का सपना नही हुआ पूरा तो खोल दिया खुद का  इंग्लिश मीडियम स्कूल, बच्चों को देतें है फ्री शिक्षा

सुखराज राय प्लस टू स्कूल के पूर्व प्राचार्य अब्दुल सत्तार पेंशन के पैसे से बच्चों को किताब और ड्रेस खरीदकर देते हैं। बचपन में पैसे और संसाधन की कमी को वह आज भी याद करते हैं। उनका कहना है कि वह नहीं चाहते हैं कि जो कसक मुझे मिली है वे आज किसी भी गरीब बच्चे को मिले। इसलिए वह अपनी पेंशन से गरीब परिवार के बच्चों को किताब के साथ-साथ ड्रेस भी मुहैया कराते हैं।

 

बचपन में इंग्लिश पढने का सपना नही हुआ पूरा तो खोल दिया खुद का  इंग्लिश मीडियम स्कूल, बच्चों को देतें है फ्री शिक्षा
अब्दुल सत्तार ने बताया, ‘बचपन में मुझे अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ने का बहुत शौक था, लेकिन गरीबी के कारण बड़े स्कूल में नहीं पढ़ सका। गांव के स्कूल से ही पढ़ाई की शुरुआत की। हिन्दी से एमएम किया। उसके बाद शिक्षक की नौकरी मिल गई। लेकिन मैंने उसी वक्त मन में सोच लिया था कि आगे अल्लाह ने इस काबिल बना दिया तो अंग्रेजी मीडियम स्कूल जरूर खोलूंगा। शादी के बाद मैंने अपने घर पर ही अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोल दिया।

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अब्दुल सत्तार के स्कूल में नर्सरी से आठवीं तक की पढ़ाई होती है। वह खुद भी बच्चों को पढ़ाते हैं। शिक्षा का स्तर बेहतर हो इसलिए अंग्रेजी की जानकार शिक्षिका को भी पढ़ाने के लिए रखा है। उन्होंने बताया कि स्कूल में अंग्रेजी के साथ-साथ गणित, हिन्दी, उर्दू, संस्कृत, साइंस की पढ़ाई भी होती है। उन्होंने बताया कि आज के दौर में हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी की तालीम लेना बहुत जरूरी है। वे बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा भी देते हैं। अब्दुल सत्तार 2009 में सेवानिवृत्त हुए थे।

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