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IAS अफसर रामवीर सिंह दफ्तरी कामकाज के बाद संभालते हैं खेत, लाखों लोगों के लिए बने प्रेरणा

Chopal Tv, Haryana एक इंसान तभी सितारों की बुलंदियों को छू सकता है जब उसकी जड़े जमीन से जुड़ी हो। हरियाणा के झज्जर जिले में रहने वाले रामवीर सिंह ऐसी ही शख्सियत है। रामवीर कोई आम आदमी नहीं बल्कि 2009 बैच के आइएएस अधिकारी है। रामवीर सिंह संगरूर में जिला उपायुक्त पद पर तैनात है
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IAS अफसर रामवीर सिंह दफ्तरी कामकाज के बाद संभालते हैं खेत, लाखों लोगों के लिए बने प्रेरणा

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एक इंसान तभी सितारों की बुलंदियों को छू सकता है जब उसकी जड़े जमीन से जुड़ी हो। हरियाणा के झज्जर जिले में रहने वाले रामवीर सिंह ऐसी ही शख्सियत है। रामवीर कोई आम आदमी नहीं बल्कि 2009 बैच के आइएएस अधिकारी है।

IAS अफसर रामवीर सिंह दफ्तरी कामकाज के बाद संभालते हैं खेत, लाखों लोगों के लिए बने प्रेरणा

रामवीर सिंह संगरूर में जिला उपायुक्त पद पर तैनात है लेकिन आज भी जमीन से जुड़ा रहना पसंद करते हैं। रामवीर सिंह का जन्म हरियाणा के जिले झज्जर में एक किसान परिवार में हुआ है। पिता सरकारी नौकरी करते थे, लेकिन सेवानिवृत्ति होने के बाद वह भी खेतीबाड़ी से जुड़ गए।

रामवीर भी बचपन से ही परिवार के साथ खेतीबाड़ी व पशुओं का कामकाज करते रहते थे। उन्होंने जेएनयू दिल्ली से राजनीति शास्त्र में ग्रेजुएशन आनर्स व एमए की पढ़ाई की। साथ ही, सिक्योरिटी रिलेशंस में एमफिल भी की है। 2009 बैच के आइएएस अधिकारी बने और उनकी 31 अगस्त 2009 को नियुक्ति हुई।

IAS अफसर रामवीर सिंह दफ्तरी कामकाज के बाद संभालते हैं खेत, लाखों लोगों के लिए बने प्रेरणा

रामवीर ने आइएएस अधिकारी बनने से पहले आइआरएस अधिकारी के तौर पर काम किया है। आज भी वह प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ वह खेतों में काम करते हुए देखे जा सकते हैं। गेहूं की फसल की कटाई का समय है तो रामवीर भी दाती लेकर व चेहरे पर सूती कपड़ा बांधकर मजदूरों के साथ गेहूं की कटाई करने में जुट हुए हैं।

इतना ही नहीं, संगरूर स्थित सरकारी रिहायश पर गायों का दूध निकालने से लेकर गेहूं की फसल की संभाल तक वह खुद कर रहे हैं। यह कार्य करने के पीछे उनका एक ही उद्देश्य है कि नई पीढ़ी अपने परिवार की परंपरा से जुड़ी रहे।

IAS अफसर रामवीर सिंह दफ्तरी कामकाज के बाद संभालते हैं खेत, लाखों लोगों के लिए बने प्रेरणा

डीसी रामवीर कहते हैं कि वह एक किसान परिवार से हैं, जिसे वह कभी नहीं भूलते। वह आज भी अपने परिवार समेत खेतों में काम करते हैं। रामवीर सिंह ने बताया कि दिन का समय दफ्तरी कामकाज में निकलता है। इसके बाद अनाज मंडी में गेहूं की चल रही खरीद का जायजा लेने के लिए निकल पड़ते हैं।

शाम को घर लौटने के बाद रामवीर सिंह सरकारी रिहायश परिसर स्थित खेत में निकल पड़ते हैं। यहां गेहूं की फसल ही नहीं, बल्कि सब्जियां व फल की भी काश्त होती है, जिनकी कांट-छांट करने सहित इनकी संभाल में लग जाते हैं।

IAS अफसर रामवीर सिंह दफ्तरी कामकाज के बाद संभालते हैं खेत, लाखों लोगों के लिए बने प्रेरणा

रामवीर सिंह सुबह उठकर रोजाना गायों का दूध निकालते हैं। इससे न केवल उन्हें मानसिक सुकून मिलता है, बल्कि उन्हें इस बात की भी खुशी है कि वह अपने बच्चों को अपनी मिट्टी से जोड़ने में सफल हुए हैं। बच्चों को यह पता चलता है कि आखिर वे कैसे परिवार से संबंध रखते हैं।

सरकारी रिहायश की जमीन पर जैविक खेती कर डीसी रामवीर युवाओं के लिए मिसाल बन रहे हैं। यहां पर गेहूं की खेती वर्षो से हो रही है, लेकिन इस बार पूरी जैविक खेती की गई है। इसमें किसी प्रकार का रासायनिक खाद इस्तेमाल नहीं हुआ है।

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