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यह है दुनिया का सबसे छोटा देश, इमारतों और बाजारों को भूल जाइए, यहां रहते हैं सिर्फ 27 लोग

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 यह है दुनिया का सबसे छोटा देश, इमारतों और बाजारों को भूल जाइए, यहां रहते हैं सिर्फ 27 लोग
 जब हम किसी देश की बात करते हैं तो आपके मन में एक बड़े देश का ख्याल आता होगा, जहां पहुंचने के लिए हवाई जहाज, ट्रेन या जहाज की जरूरत पड़ती होगी। वहां कई कारें, लाखों लोग, इमारतें, बाजार आदि जैसी चीजें दिखाई देंगी, लेकिन अगर हम आपसे कहें कि दुनिया के सबसे छोटे देश में ऐसा कुछ नहीं है, तो आप क्या कहेंगे?

दुनिया का सबसे छोटा देश इतना छोटा है कि यहां एक मोहल्ले से भी कम लोग रहते हैं। इमारतें और बाज़ार तो छोड़िए, यहां घर भी नहीं हैं. फिर यहाँ जीवन कैसा है? आइए हम आपको बताते हैं.

हर कोई सोचता है कि दुनिया का सबसे छोटा देश वेटिकन सिटी है, लेकिन यह सच नहीं है, दुनिया के सबसे छोटे देश का नाम प्रिन्सिपलिटी ऑफ़ सीलैंड है। यह इंग्लैंड के सफ़ोल्क बीच से 10 किमी दूर है, जो एक खंडहर समुद्री किले पर स्थित है। इस किले का निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने करवाया था। बाद में इसे ब्रिटेन ने ख़ाली कर दिया था। तब से सूक्ष्म राष्ट्र कहे जाने वाले सीलैंड पर अलग-अलग लोगों का कब्जा रहा है।

सफ़ोक के पास देश है

हालाँकि, रॉय बेट्स नाम के एक व्यक्ति ने 1967 में इस देश को स्वतंत्र घोषित कर दिया और खुद को सीलैंड का राजकुमार घोषित कर दिया। रॉय बेट्स की मृत्यु के बाद, इस सूक्ष्म राष्ट्र पर उनके बेटे माइकल का शासन है। आपको बता दें कि सूक्ष्म राष्ट्र वे छोटे देश होते हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिलती है।


वे एक देश का ही हिस्सा हैं. सीलैंड का कुल क्षेत्रफल 1 KM का एक चौथाई यानि 250 मीटर (0.25 किलोमीटर) है। हालांकि, जर्जर हालत में पहुंच चुके इस किले को सीलैंड के साथ-साथ रफ फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह खंभों पर खड़ा है.


केवल 27 लोग रहते हैं

इसे दुनिया का सबसे छोटा देश कहा जाता है। यहां की जनसंख्या केवल 27 है। देश का अपना झंडा, मुद्रा, यहां तक कि सेना भी है। यहां कोई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति नहीं है, इसे राजा और रानी चलाते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इंग्लैंड ने जर्मनी से अपनी रक्षा के लिए इस स्थान का उपयोग किया था। दुनिया में ऐसे कई माइक्रोनेशन मौजूद हैं।

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