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IAS Pooja Gupta : दादा का सपना पूरा करने के लिए पहले IPS और फिर आईएएस बनी पोती, इस तरह हासिल किया मुकाम, जानिए इस अफसर की सफलता की कहानी

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IAS Pooja Gupta Success Story: यदि व्यक्ति अपने जीवन में कोई लक्ष्य तय कर लेता है तो वह किसी भी हालत में उससे समझौता करने को तैयार नहीं होता। इसके लिए फिर चाहे उसे कितना ही हार्ड वर्क क्यों न करना पड़े। वहीं कल हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप भी कहेंगे की मेहनत और लगन हो तो ऐसी।

दारोगा मां की अफसर बिटिया:मिलिए पूजा गुप्ता से, जिन्होंने तय किया आईपीएस से  आईएएस तक का सफर - Ias Pooja Gupta Profile Story Got 42 Rank In Upsc - Amar  Ujala Hindi

ये कहानी है दिल्ली पुलिस में तैनात सब इंस्पेक्टर रेखा गुप्ता की बेटी पूजा गुप्ता की। जी हां, यह वही पूजा गुप्ता है जिहोंगे UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2020 में AIR 42 हासिल कर यह दिखा दिया कि एक बार टारगेट सेट होने पर इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है। 

Success Story: IAS बनने के लिए की इतनी मेहनत, तीसरे अटेंप्ट में सफल हुईं पूजा  गुप्ता - upsc exam pooja gupta ias interview success story – News18 हिंदी

बता दें कि आईएएस पूजा गुप्ता ने 12वीं के बाद मेडिकल की पढ़ाई की थी लेकिन उन्हें आईएएस अफसर बनना था। पूजा गुप्ता डॉक्टरी की पढ़ाई के साथ ही UPSC की भी तैयारी करती रही और पूजा ने पहले अटेंप्ट में ही UPSC का इतना टफ एग्जाम क्लियर कर लिया और आईपीएस अफसर बनी। जबकि पूजा के दादाजी का सपना था कि उनकी पोती IAS अफसर बनें।

IPS बनने के बाद भी पूजा ने अपने हार्ड वर्क को नहीं छोड़ा और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गई। उन्होने UPSC 2020 में  42वीं रैंक हासिल कर IAS बनने का सपना साकार किया। बता दें कि IAS पूजा गुप्ता के परिवार में उनकी मां रेखा गुप्ता दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर कि पोस्ट पर तैनात हैं। जबकि उनके पिता एक प्राइवेट नौकरी करते हैं।

अपनी मां की वर्दी से पूजा बहुत इंस्पायर थीं और इसी कारण वह सिविल सर्विस एग्जाम देना चाहती थी। पूजा ने सिविल सेवा परीक्षा 2018 में अपने पहले ही अटेंप्ट में ऑल इंडिया रैंक 147 रैंक हासिल किया था। 

पूजा ने एग्जाम को कैसे क्रैक किया इस पर बात करते हुए उन्होने कहा कि शुरुआत में वह इंटरनेट से ही पढ़ाई कर रही थी। यूट्यूब पर बहुत से टॉपर्स के वीडियो दिखती थी। जिससे उन्हें अपनी तैयारी के लिए काफी मदद मिल जाती थी। वह पूरी तरह से एनसीईआरटी की किताबों और अखबारों पर ही निर्भर थी। लेकिन इन सब के दौरान पूजा ने कभी हार नहीं मानी।

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