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हरियाणा में बदला डीसी रेट का नाम, तीन जोन में बंटा हरियाणा, जानिये पूरी जानकारी

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हरियाणा में डीसी रेट पर जॉब का इंतजार कर रहे युवाओं के लिए बडी खुशखबरी है। आज हरियाणा दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेशवासियों के लिए कई बड़ी घोषणाएं की है। इस दौरान उन्होने हरियाणा में बेरोगारी दर कम करने के लिए रोजगार के क्षेत्र में बढाव करने के लिए हर संभव प्रयास करने की बात कही। 


आज हरियाणा दिवस के मौके पर डीसी रेट का नाम भी बदल दिया गया है। अब डीसी रेट को निगम रेट का नाम दिया गया है। नए सिरे से शहरों के हिसाब से रेट तय किए जाएंगे।
हरियाणा में तीन अलग अलग डीसी रेट निर्धारित किये गए हैं जिसमें तीन जोन में पूरे हरियाणा के बांटा गया है। जिन इलाकों में महंगाई ज्यादा है वहां डीसी रेट ज्यादा रहेगा वहीं जिन जिलों में महंगाई दर कम है वहां डीसी रेट कम रहेगा।


मुख्य सचिव के नेतृत्व में सामान्य प्रशासन विभाग सभी श्रेणियों और जिलों के लिए डीसी रेट तय करेगा। इससे इन दरों को युक्तिसंगत बनाया जा सकेगा जिससे कर्मचारियों को लाभ होगा। मकान का किराया, सब्जी की कीमतें, स्कूल फीस के आधार पर डीसी रेट निर्धारित किया जाएगा। जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।

  • ए श्रेणी में गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला और सोनीपत 
  • बी श्रेणी के शहरों में पानीपत, झज्जर, पलवल, करनाल, अंबाला, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, भिवानी और जींद को रखा गया है।
  • सी श्रेणी के जिलों में महेंद्रगढ़, फतेहाबाद, सिरसा, नूंह और चरखी दादरी रखे गए हैं।

मकान का किराया, सब्जी की कीमतें, स्कूल फीस होगा डीसी रेट का आधार
अभी तक डीसी रेट का निर्धारण जिला विशेष और मुख्य रूप से प्रचलित न्यूनतम मजदूरी तथा जिला विशेष श्रम दरों पर किया जा रहा था। सभी जिलों में मजूदरी की दरों में काफी अंतर है। डीसी दरों में वृद्धि न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि के अनुपात में नहीं होने के कारण या तो बहुत अधिक या बहुत कम है।


मुद्रास्फीति आदि जैसे मापदंडों के आधार पर डीसी रेट में संशोधन भी संस्थागत नहीं है। प्रदेश सरकार के डीसी रेट में संशोधन के निर्णय से कर्मचारियों को लाभ होगा।
हरियाणा में कच्चे कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। अब उनके डीसी रेट अब हर साल पांच फीसद तक बढ़ेगा। पूरे प्रदेश को तीन जोन में बांटा गया है। जिलों की बजाय जोन के अनुसार डीसी रेट तय होंगे। 


डीसी रेट अकुशल, अर्धकुशल और कुशल श्रमिकों की मजदूरी होती है, जो उपायुक्तों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति द्वारा तय की जाती है। अब न्यूनतम मजदूरी तथा जिला विशेष उपभोक्ता मूल्य के सिद्धांतों पर डीसी रेट तय किया जाएगा।


 

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