हरियाणा पेंशन घोटाला, सीबीआई रिपोर्ट आई सामने: 2012 से 2024 तक सभी अधिकारी दोषी; HC ने प्रमुख सचिव-महानिदेशक को भेजा अवमानना नोटिस

12 साल बाद भी सरकार इस मामले में गंभीरता नहीं दिखा रही है. ऐसे में कोर्ट ने कहा कि यह अदालत की अवमानना का मामला बनता है. इस मामले में हाईकोर्ट ने सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख सचिव और महानिदेशक को कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया है.
हाई कोर्ट ने 2012 से लेकर अब तक सभी को दोषी करार दिया
हाई कोर्ट ने सरकार को सीबीआई रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए सभी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया और यह भी कहा कि 2012 से अब तक समाज कल्याण विभाग के सभी प्रधान सचिव और महानिदेशक प्रथम दृष्टया अदालत की अवमानना के दोषी हैं. के दोषी हैं.
लेकिन अभी कोर्ट सामाजिक न्याय विभाग के मौजूदा प्रमुख सचिव और महानिदेशक को कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी कर रही है. 15 मार्च तक कोर्ट को बताना होगा कि क्यों न कोर्ट की अवमानना के आरोप में सभी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
अभी तक केवल कुरुक्षेत्र में ही एफआईआर दर्ज की गई है
याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप रापड़िया ने हाई कोर्ट को बताया कि केवल कुरुक्षेत्र जिले में एफआईआर दर्ज कर और एक सेवादार से 13 लाख 43 हजार 725 रुपये वसूल कर सरकार जांच को केवल कुरुक्षेत्र जिले तक ही सीमित रखना चाहती है, जबकि सीएजी रिपोर्ट में पूरे हरियाणा की बात कही गई है. शामिल है। घोटाला उजागर हुआ.
इसके बाद हाई कोर्ट के जस्टिस विनोद भारद्वाज ने सीबीआई जांच के आदेश दिए. 29 फरवरी को, सीबीआई ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक स्थिति रिपोर्ट दायर की जिसमें कहा गया कि पूरे हरियाणा में दोषी जिला समाज कल्याण अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
2017 में सीबीआई जांच की मांग उठी थी
2017 में आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश बैंस ने अपने वकील प्रदीप रापड़िया के जरिए पूरे हरियाणा में पेंशन घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की थी. समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने ऐसे व्यक्तियों को भी पेंशन वितरित की, जिनकी या तो मृत्यु हो चुकी है या वे पेंशन प्राप्त करने के लिए पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं। इस तरह सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया.
याचिकाकर्ता का आरोप है कि राज्य में 40 और 50 साल की उम्र के लोग भी इस पेंशन का लाभ ले रहे हैं. इसके अलावा वे लोग भी पेंशन का लाभ ले रहे थे जो इसके हकदार नहीं थे. ऐसे लोगों को सरकार पहले से ही अन्य मदों में पेंशन दे रही थी. बताया यह भी जा रहा है कि इस मद में कई पूर्व सरपंच और पंच भी शामिल हैं.
पूर्व सीएम हुड्डा की बढ़ेंगी मुश्किलें!
यह घोटाला हरियाणा में 2011 के दौरान हुआ था. उस समय वहां कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. अगर इस मामले में सीबीआई जांच में घोटाला सामने आया तो पूर्व सीएम की मुश्किलें बढ़ जाएंगी. हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति में उथल-पुथल तेज हो गई है.