हरियाणा में इंस्पेक्टर से डीएसपी पद पर प्रमोशन का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने हटाई रोक
याचिका दायर करते हुए इंस्पेक्टर कमलजीत सिंह व अन्य ने कहा कि हरियाणा सरकार ने इंस्पेक्टर से डीएसपी पद पर पदोन्नति प्रक्रिया शुरू कर दी है.
याचिकाकर्ताओं को जानकारी मिली कि इस प्रक्रिया में आरक्षण लागू कर दिया गया है. याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एससी और एसटी के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता का निर्धारण करने के लिए डेटा का संग्रह पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है।
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याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने इंस्पेक्टर के रूप में आवश्यक वर्षों की सेवा पूरी कर ली है और वे डीएसपी के पद पर पदोन्नत होने के पात्र हैं। 27 सितंबर को डीजीपी ने इंस्पेक्टरों से डीएसपी पद पर प्रमोशन के लिए आवेदन मांगे थे और इसमें याचिकाकर्ताओं के नाम भी दिए गए थे.
याचिकाकर्ताओं की पदोन्नति के आदेश पारित होने से पहले, राज्य सरकार ने 25 अक्टूबर को मुख्य सचिव के माध्यम से राज्य सरकार की सेवाओं में समूह ए और बी पदों पर अनुसूचित जाति को पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने का निर्देश जारी किया।
इसके बाद 25 अक्टूबर को सरकार ने एक आदेश जारी किया, जिसके जरिए याचिकाकर्ताओं से कनिष्ठ अनुसूचित जाति के इंस्पेक्टरों को डीएसपी के पद पर प्रोन्नति देने के लिए मामले मांगे गये.
याचिकाकर्ता का कहना था कि इस तरह से आरक्षण लागू करना शीर्ष अदालत द्वारा पारित फैसले का उल्लंघन है. इससे पहले भी हरियाणा सरकार ने 16 मार्च 2006 को ऐसे निर्देश जारी किए थे, जिसके तहत हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारियों को त्वरित वरिष्ठता प्रदान की थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने प्रेम कुमार वर्मा व अन्य बनाम हरियाणा राज्य मामले में सरकार के निर्देश को रद्द कर दिया था।
एकलपीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक पर रोक लगा दी थी, लेकिन बाद में रोक हटा दी गयी. याचिकाकर्ताओं ने इसके खिलाफ खंडपीठ के समक्ष याचिका दायर की और कहा कि यदि पदोन्नति हुई तो उनकी याचिका का कोई औचित्य नहीं रहेगा. ऐसे में खंडपीठ ने प्रमोशन प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी.
हरियाणा सरकार की ओर से प्रतिबंध हटाने के लिए अर्जी दाखिल की गई थी. इसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने आरक्षण मामलों को छोड़कर अन्य मामलों के लिए डीपीसी बैठक की अनुमति दे दी है.