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किसानों के लिए खुशखबरी...गेंहू की हरी फसल को खरीद रही ये कंपनी, इतना मिलेगा भाव

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महाराष्ट्र में इन दिनों हरी फसल बेची जा रही है, जो एक चर्चा का विषय बना हुआ है. खेतों में लहलहाती गेंहू की हरी फसल को कम्पनी की तरफ से मशीनों द्वारा कटाई करके रोलपैक किया जा रहा है. आखिर कोन और क्यों खरीद रहा है गेंहू की हरी फसल? आपके इस सवाल के जवाब के लिए हमारी टीम ने इसे कवरेज किया.

गेहूँ की हरी फसल कितने रूपये में बिकती है? और हमे इसे क्यों बेचना या नहीं बेचना चाहिए इसकी सम्पूर्ण रिपोर्ट को तैयार करके हमने इस पोस्ट के माध्यम से बताया है. आप भी अपनी फसल को बेचना चाहते है तो कम्पनी से बात कर सकते है.

कहां बिकती है हरी फसल?

विदिशा जिले के गांवों में इन दिनों महाराष्ट्र की निजी कंपनी ने किसानों की हरी फसल खरीदना शुरू किया है. गेंहू की लहलहाती फसल को यह कंपनी खरीदकर काट रही है, और नरवाई सहित रोलपैक करके बाहर भेज रही है। विदिशा तहसील के के आसपास निजी कंपनी के ट्रेक्टर सांकलखेड़ा कला एवं देवखजूरी और फसल कटाई लिए उपयोग आने वाली विशालकाय मशीनें देखी जा रहीं हैं।

गेंहू की हरी फसल की कटाई

किसानों का कहना है कि हरी फसल को नरवाई सहित रोपर जैसी कटाई करते हैं। करीब दो घंटे बाद कटी फसल पर कोई कैमिकल का छिड़काव करते हैं। इसके बाद बालियों सहित नरवाई लगी फसल को रोलपैक कर रहे हैं। इस से पैक करके ले जा रहे हैं। इस रोलपैक को एयरटाइट पालीथिन संबंध में कृषि उपसंचालक केएस खपेड़िया से जब चर्चा की गई तो उन्होने अनभिज्ञता जताई है।

हरी फसल बेचने पर कितना रुपया मिलता है?

किसानों का कहना कंपनी के लिए खरीदकर ले जा रहे हैं। कर्मचारी कह रहे हैं पशु चारे के क्वालिटी जांचते हैं इसके बाद किसान से सौदा तय होता है. सांकलखेड़ा कला गांव के किसान लेकिन किसानों को फसल पकने के पहले ही दाम मिल रहे हैं, और कटाई से लेकर साफ करने की परेशानी से निजात मिल रही है.

जैसे की गेंहू के दानों दूध बनने लगता है जब कटाई करते हैं। किसानों का कहना है कि निजी कंपनी के कर्मचारी खेत की पैदावार और फसल की मौजूदा स्थिति देखकर भाव तय कर रहे हैं फिलहाल मोटे तौर पर जैसे की बीघा खेत में 10 क्विंटल गेहू पैदा होता है तो कंपनी वाले 20 हजार रुपए में सौदा कर रहे हैं। हालांकी खेत में खड़ी फसल की मौजूदा स्थिति जांचने के बाद भाव कम या ज्यादा भी लगा सकते हैं।

गेहूं को हरा बेचने पर नुकसान

वहीं मंडियों से लेकर सरकारी तौल कांटे की लंबी लाइनों से भी शैलेंद्र रघुवंशी ने बताया की गेंहू हरी फसल खरीदी जा रही है। बाहर से आई कंपनी के कर्मचारी बालियों बच पा रहे है। ऐसे में किसान हाथोहाथ निजी कंपनी को खेतों खड़ी गेहूं की फसल बेचने में रुचि दिखा रहे हैं। हालांकी ज्यादातर किसान कच्ची फसल बेचने से साफ इंकार भी कर रहे हैं के दाने बन जाते हैं और पकने पहले ही कच्ची अवस्था में फसल काटते हैं।

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