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एक हफ्ते के लिए स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों को बंद करने के आदेश, वर्क फ्रॉम होम होगा

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दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने कई बड़े फैसले किए हैं। सभी सरकारी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के लिए कहा गया है। सोमवार से एक हफ्ते के लिए स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। 

इस मसले पर की गई इमरजेंसी मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम संपूर्ण लॉकडाउन के तौर तरीकों पर विचार कर रहे हैं। प्राइवेट गाड़ियों को बंद करने का भी सोच रहे हैं। सभी कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी रोक दी गई हैं।

सोमवार से एक सप्ताह के लिए स्कूल बंद रहेंगे। वस्तुतः जारी रखने के लिए ताकि बच्चों को प्रदूषित हवा में सांस न लेनी पड़े:सरकारी कार्यालय एक सप्ताह के लिए 100% क्षमता पर घर (WFH) से संचालित होंगे। निजी कार्यालयों को यथासंभव WFH विकल्प के लिए एक सलाह जारी की जाएगी: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

सुप्रीम कोर्ट में सुबह मामले पर सुनवाई शुरू हुई तो सीजेआई रमन्ना ने सीधे सरकार से सवाल पूछा- आप देख रहे हैं कि स्थिति कितनी खतरनाक है। हमें घरों पर भी मास्क लगाकर बैठना पड़ेगा। आखिर क्या कदम उठाए जा रहे हैं ?

दिल्ली- एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी)  की उप समिति ने शुक्रवार को आपात बैठक कर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार से कई सख्त निर्णयों पर अमल करने के लिए कहा है।

बैठक में राज्य सरकारों से कहा गया कि वे सभी सरकारी और निजी कार्यालयों के कर्मियों द्वारा प्रयोग किए जा रहे वाहनों की संख्या में 30 प्रतिशत तक कटौती करें ताकि वाहनों से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।

राज्य सरकार ने अदालत में स्वीकार किया कि दिल्ली की हवा में सांस लेना “एक दिन में 20 सिगरेट पीने जैसा है। सरकार ने जोर देकर कहा कि हम स्थिति की गंभीरता से सहमत हैं। दिल्ली में शुक्रवार को मौसम की सबसे खराब वायु गुणवत्ता देखी गई है। जिसके कारण लोगों को घर के अंदर रहने की सलाह दी गई है।

केंद्र सरकार ने इस पर जवाब देते हुए कहा था कि- “हम पराली जलाने को रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं। लेकिन पिछले पांच-छह दिनों में हमने जिस तरह का प्रदूषण देखा है, वह पंजाब में पराली जलाने के कारण है। राज्य सरकार को कमर कसने की जरूरत है…”।

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने फटकार लगाते हुए जवाब दिया- “आप किसानों को ऐसा क्यों दिखा रहे हैं, जैसे प्रदूषण के लिए वो जिम्मेदार हैं? यह केवल प्रदूषण का एक निश्चित प्रतिशत है। बाकी के बारे में क्या? दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आप क्या कर रहे हैं? आप बताएं, हमें बताएं कि आपकी योजना क्या है… सिर्फ 2-3 दिनों के बारे में नहीं।”

पराली जलाए जाने के चलते एनसीआर में हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' से 'खतरनाक' कैटेगरी में बनी हुई है। मेन पॉल्युटेंट पीएम 2.5 के साथ दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता 499 है, जो पराली जलाने और वाहनों और औद्योगिक धुएं के कारण होती है।

भारत के उत्तरी भाग के अन्य शहरों की तुलना में, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद सहित एनसीआर के शहर चार्ट में सबसे ऊपर हैं और अक्सर दुनिया के शीर्ष दस सबसे प्रदूषित शहरों में बने रहते हैं, इसके पीछे का कारण बड़े पैमाने पर वाहनों की आवाजाही और हजारों उद्योग हैं।

दिल्ली के विपरीत, नोएडा और गाजियाबाद में इंडस्ट्रीज ने सीएनजी या सौर ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ईंधन की ओर रुख नहीं किया है। इनमें से ज्यादातर पारंपरिक डीजल जेनसेट पर चलते हैं जिनमें अधिक ईंधन लगता है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नोएडा में लगभग 6,200 और गाजियाबाद में 27,000 इंडस्ट्रीज हैं, जिनमें से अधिकांश बिजली या बैकअप के प्रमुख स्रोत के रूप में डीजल जनरेटर का उपयोग करते हैं। इन कारखानों से निकलने वाले धुएं से इन दोनों शहरों में वायु की गुणवत्ता खराब होती है।

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