1 दिन में गायब हो जाएंगे फोड़े-फुंसियां और दाद, करें इस पौधे का इस्तेमाल
आयुर्वेद में इसे इसके रोगाणुरोधी, मधुमेहरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और हेपेटोप्रोटेक्टिव गुणों के लिए जाना जाता है जिनका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
इसकी पत्तियों के काढ़े का उपयोग मलेरिया बुखार, अल्सर और त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि इससे पुराने से पुराने त्वचा रोग भी ठीक हो जाते हैं।
फोड़े में
फोड़े-फुंसियों में सत्यानाशी का प्रयोग कारगर माना गया है। आयुर्वेद में इसे कुष्ठ यानी त्वचा संबंधी रोगों को कम करने वाला बताया गया है। यह वास्तव में रक्त को शुद्ध करता है और विषाक्त पदार्थों को कम करता है।
जिससे फोड़े-फुंसी कम हो जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति को इसकी जड़ों को पानी में उबालकर पीना चाहिए या फिर इसकी जड़ों को रात के समय पानी में भिगोकर रखना चाहिए और अगली सुबह इसे पानी में उबालकर पीना चाहिए।
दाद में
सत्यानाशी का पौधा एंटीफंगल गुणों से भरपूर होता है जो दाद की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। तो आपको बस सत्यानाशी का एक ताजा पौधा लेना है। इसे साफ करके पीस लें और इसका रस निकाल लें।
इस रस को सरसों के तेल में तब तक पकाएं जब तक सारा पानी सूख न जाए और केवल तेल ही रह जाए। इस तेल को प्रभावित जगह पर बाहरी तौर पर लगाएं।
खुजली कम कर देता है
आयुर्वेद में सत्यानाशी पौधे को कंदुघ्न यानी खुजली और जलन को शांत करने वाला कहा जाता है। इसलिए अगर आपकी त्वचा में एलर्जी या किसी अन्य कारण से खुजली हो रही है तो इस पौधे का तेल या इसका पानी लगाएं। यह बहुत प्रभावी ढंग से काम करता है