11 बार असफलताओं के बाद भी नही मानी हार, पूरा किया शिक्षक बनने का सपना, जानिए सफलता हासिल करने की पूरी कहानी

Jobs Haryana, Success Story Of Teacher Ganesharam कहते हैं कि मेहनत करने वालो की कभी हार नही होती है। जब तक सफलता (Success) नहीं मिले तब तक लक्ष्य (Target) से भटको मत और उस पर फोकस रखो, सफलता अवश्य मिलेगी। इस कथन को सत्य कर दिखाया है पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर (India-Pakistan border)
 

Jobs Haryana, Success Story Of Teacher Ganesharam

कहते हैं कि मेहनत करने वालो की कभी हार नही होती है। जब तक सफलता (Success) नहीं मिले तब तक लक्ष्य (Target) से भटको मत और उस पर फोकस रखो, सफलता अवश्य मिलेगी। इस कथन को सत्य कर दिखाया है पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर (India-Pakistan border) पर बसे बाड़मेर जिले के गणेशाराम ने। गणेशाराम ने बार-बार असफलता हाथ लगने के बाद भी अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा। आखिरकार 11 बार की असफलताओं के बाद उसने अपना मुकाम पा ही लिया है।

बाड़मेर के इस युवा ने जिस तंगहाली और अभावों में शिक्षक बनने का जो सपने देखा था उसे अतंत: अपनी मेहनत से पूरा करके दिखाया। उसकी सफलता भी सामान्य नहीं थी बल्कि कुछ अलग थी। इस युवा ने फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती में बाड़मेर में पहली पायदान हासिल कर नया उदाहरण पेश किया है। यही नहीं यह युवा जोधपुर संभाग में दूसरे स्थान पर रहा है।

बाड़मेर के गणेशाराम के चर्चे इन दिनों जिले भर में है। लोग उसकी सफलता से ज्यादा उनकी सफलता की कहानी से प्रभावित हो रहे हैं। 9 भाई-बहनों के परिवार में गणेशाराम इकलौता ऐसा सदस्य है जिसने शिक्षा हासिल की है। जिस वक्त देश मिशन मंगल पूरा कर चुका था उस वक्त भी गणेशाराम तंगहाली के कारण चिमनी की रोशनी में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था। थर्ड ग्रेड शिक्षक परीक्षा में तीन बार, सेकेण्ड ग्रेड में तीन बार और फर्स्ट ग्रेड में पांच बार असफल होने के बाद भी गणेशाराम ने हार नहीं मानी। गणेशाराम के परिवार की माली हालत जहां उसके कदमों को जकड़ने का काम करती रही, वहीं उसके पिता के शब्द उसे हौसला देते रहे।

गणेशाराम ने हाल में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की आयोग की ओर से आयोजित फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में राज्य में 18वीं रैंक हासिल की है। उसने बाड़मेर में पहला स्थान हासिल किया और जोधपुर संभाग में वह दूसरे स्थान पर है। गणेशाराम बताता है कि उसने असफलताओं से सीखा कि आखिरकार सफलता कैसे पायी जाती है। इस युवा की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट सरीखी लगती है और इसका अंत बहुत सुखद भी है। एक बार की असफलता से हार मानने वालों के लिए 11 बार की असफलता के बाद सफलता का ताज हासिल कर चुके गणेशाराम की कहानी सही मायने किसी मिसाल से कम नहीं है।