गाड़िया लोहार परिवार की बेटी कमला लोहार (Kamla Lohar) मेहनत और लगन से एसआई (SI) बनकर कायम की मिसाल, समाज में इकलौती है पुलिस अधिकारी

Jobs Haryana, Success Story of Kamla Lohar आज के समय में लगभग सभी जाति और समाज के लोग अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करवाते हैं। लेकिन अब भी बहुत से ऐसी पिछड़ी जाति है जिनमें बहुत कम लोग पढे लिखें होते है। ऐसे में एक समाज गाड़िया लोहार भी है। गाड़िया लोहार का नाम सुनते
 
Jobs Haryana, Success Story of Kamla Lohar

आज के समय में लगभग सभी जाति और समाज के लोग अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करवाते हैं। लेकिन अब भी बहुत से ऐसी पिछड़ी जाति है जिनमें बहुत कम लोग पढे लिखें होते है। ऐसे में एक समाज गाड़िया लोहार भी है।

गाड़िया लोहार का नाम सुनते ही जेहन में सबसे पहले तस्वीर सड़क किनारे डेरा डालकर लोहे का सामान बनाने का काम करने वाले घुमंतु परिवारों की बनती है। इन परिवारों के पास ना दो वक्त की भरपेट रोटी होती है और ना ही कोई स्थायी घर। सोचो, अगर ऐसे परिवार की कोई बेटी पुलिस अफसर बन जाए तो उस परिवार का संघर्ष कितना अधिक रहा होगा।

आज हम जिसके बारे में बताने जा रहे है वो इन्ही गाड़िया लोहार परिवार की एक बेटी है जिसका नाम कमला लोहार हैं। जिसकी जिंदगी ​संघर्ष, मेहनत और कामयाबी की मिसाल है। ये राजस्थान पुलिस में गाड़िया लोहार परिवारों से सब इंस्पेक्टर बनने वाली इकलौती महिला हैं।

Kamla Lohar

कमला लोहार मूलरूप से जोधपुर जिला मुख्यालय पर हाथीराम का ओडा मेड़ती गेट के पास की रहने वाली हैं। वर्तमान में राजस्थान के पाली महिला पुलिस थाने में बतौर उप निरीक्षक (एसआई) पर कार्यरत हैं। इससे पहले सिरोही जिले में पोस्टेड रहीं।

Kamla Lohar

अगर बात करें कमला लोहार के परिवार की तो इऩकी शादी वर्ष 2013 में पाली के रसिया राम से हुई। इनके एक बेटी आराध्या है। रसिया राम पाली जिले में बतौर सरकारी शिक्षक कार्यरत हैं। चार-भाई बहनों में कमला सबसे छोटी हैं। बड़े भाई कैलाश चौहान सरकारी टीचर हैं। बहन रेखा हाउस वाइफ है। दूसरे भाई नीतिन चौहान फोटोग्राफर हैं।


एक इंटरव्यू के दौरान कमला लोहार कहती हैं कि उनके दादा मोतीलाल लोहार लोहे का सामान बनाने का काम किया करते थे। मोतीलाल के पांच बेटे हुए। वे खुद पढ़े-लिखे नहीं थे, मगर बेटों को स्कूल भेजा करते थे। बेटा ओमप्रकाश दसवीं तक पढ़ लिख लिया। उस जमाने में गाडिया लोहार समाज शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं था। फिर भी मोतीलाल ने पढ़ाई का मोल समझा और अपने बेटों को पढ़ाया।


ओमप्रकाश लोहार दसवीं तक पढ़ने के साथ-साथ खेलों में बहुत अच्छे थे। नतीजा यह रहा कि उनकी खेल कोटे से रेलवे में नौकरी लग गई। यहीं से कमला के परिवार की दशा और दिशा दोनों बदल गई। ओमप्रकाश ने कमला समेत अपने अन्य बेटा-बेटी को खूब पढ़ाया लिखाया। तभी गाड़िया लोहार ओमप्रकाश के परिवार में एक बेटी पुलिस अफसर व दूसर बेटा शिक्षक है।

Kamla Lohar

पिता की तरह कमला की भी स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई के दौरान खेलों में गहरी रूचि थी। कमला हॉकी की नेशनल लेवल की खिलाड़ी रही है। इंटर यूनिवर्सिटी की टीम में नेशनल खेला है। फिर कमला ने द्वितीय श्रेणी शि​क्षक भर्ती परीक्षा, जिसमें सफल रही और उसके बाद वर्ष 2014 में राजस्थान उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा पास करके एसआई बन गईं।
कमला लोहार की कामयाबी लोहार समाज की तमाम बेटियों के लिए प्रेरणादायक है, क्योंकि आज भी लोहार समाज में चुनिंदा बेटियां ही पढ़ लिख पाती हैं। कमला कहती हैं कि पढ़ाई से ही तरक्की की राह खुलती है।

कमला बताती हैं कि शिक्षा ने उनकी जिंदगी बदल दी। कमला के परिवार में फिलहाल सिर्फ चाचा ही लोहे का सामान बनाने का काम करते हैं। बाकी सदस्य पढ़-लिखकर नौकरी या अन्य काम करने लगे हैं। बता दें कि राजस्थान में गाड़िया लोहार महाराणा प्रताप की सेना के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलते थे। ये लोग प्रताप की सेना के लिए घोड़ों की नाल, तलवार और अन्य हथियार बनाते थे। तब से ये घुमक्कड़ जिन्दगी बिता रहे हैं।