टीचर की नौकरी छोड़कर शुरू की अलग अंदाज से खेती, नेता भी आते हैं देखने

Jobs Haryana, Success Story Of Johnson olipuram धीरे-धीरे खेती करने के तरीके में बदलाव आते जा रहे हैं। ज्यादातर किसान अब परपंरागत खेती को छोड़कर जैविक खेती की और ज्यादा अग्रसर। किसान जैविक खेती करके अच्छी कमाई कर रहें हैं। ऐसे में बहुत से किसान ज्यादा पैदावार लेने के लिए खेती-बाड़ी में कई तरह के
 

Jobs Haryana, Success Story Of Johnson olipuram

धीरे-धीरे खेती करने के तरीके में बदलाव आते जा रहे हैं। ज्यादातर किसान अब परपंरागत खेती को छोड़कर जैविक खेती की और ज्यादा अग्रसर। किसान जैविक खेती करके अच्छी कमाई कर रहें हैं। ऐसे में बहुत से किसान ज्यादा पैदावार लेने के लिए खेती-बाड़ी में कई तरह के प्रयोग करते रहते हैं।

कई बार वह प्रयोग फसलों के चयन में होता है तो कई बार कुछ रचनात्मक कार्य कर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसा ही कुछ काम किया है केरल के एक किसान ने। किसानी के क्षेत्र में आने से पहले 55 वर्षीय जॉनसन ओलीपुरम एक शिक्षक थे। वे 13 साल तक आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड में अंग्रेजी पढ़ाए। इसी दौरन उन्होंने एक दिन खेती किसानी करने की सोची और नोकरी छोड़कर अपने गृह राज्य केरल आ गए।

अब वे पूरी तरह से खेती में रम गए हैं और फिलहाल उनके खेतों में धान की फसल है। जॉनसन धान की अलग-अलग किस्मों का संरक्षण भी करते हैं और फिलहाल उनके पास ऐसी 28 किस्में हैं।

लेकिन आज वे धान की किस्मों की वजह से नहीं बल्कि खेत में की गई एक कलाकारी (पैडी आर्ट) के कारण चर्चा में हैं।

युवाओं के बीच खेती-किसानी और खासकर जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए जॉनसन ने खेत में फसलों से ही एक सांकेतिक दीया बना दिया है। इसके लिए उन्होंने चार अलग-अलग रंगों वाले धान की किस्म का इस्तेमाल किया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जॉनसन ने बताया कि ऐसा उन्होंने इसलिए किया है ताकि एक संदेश जाए कि महामारी के दौर में भी किसान हारे नहीं हैं। उन्हें उम्मीद है कि हम कोरोना की चुनौती को भी पार कर जाएंगे। उनके खेत में जलता हुआ सांकेतिक दीया इसी का प्रतीक है।

सिर्फ दीया ही नहीं, जॉनसन ने खेत में अशोक चक्र भी बनाया है। कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी जॉनसन के खेतों में जा चुके हैं और उनके पैडी आर्ट की सराहना कर चुके हैं।

पैडी आर्ट बनाने में धान की जिन चार किस्मों का जॉनसन ने इस्तेमाल किया है, उसमें महाराष्ट्र का नसरबाथ एक है। इस किस्म का इस्तेमाल उन्होंने दीए के लौ के लिए किया है क्योंकि इस किस्म का रंग ब्राउन कॉफी जैसा है। काले रंग के कलाबाथ किस्म और क्लेरो धान की किस्मों का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने बताया कि ओडिशा से मंगाए गए गहरे रंग के खाकीशाला किस्म को भी आर्ट बनाने में शामिल किया गया है।

इन सब के अलावा जॉनसन ने अन्य 19 किस्म के धान इस खेत में लगाए हैं। वे कहते हैं, रक्तशाली धान की किस्म के बारे में काफी किसान जानकारी चाहते हैं, जो औषधीय गुणों वाला है। उन्होंने 10 एकड़ खेत में धान की फसल लगाई है, लेकिन पैडी आर्ट मेन रोड के किनारे वाले हिस्से में है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की नजर पड़े।

वे बताते हैं, ‘स्थानीय स्कूल से लेकर अन्य संस्थाएं अब मुझे खेती-किसानी के बारे में बताने के लिए बुलाती हैं।’ पैडी आर्ट के बारे में वे कहते हैं कि जो मैं काम कर रहा हूं, उसके बारे में संदेश देने का बस यह तरीका भर है। जब लोग इस आर्ट को देखते हैं तो वे मुझसे इसके बारे में और खेती-किसानी को लेकर बात करते हैं।

टीचर से किसान बन चुके जॉनसन भले ही खेती-बाड़ी के काम में लग गए हैं, लेकिन अभी भी मौका मिलने पर वे जनजातीय छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाते हैं। वे अब धान की जैविक खेती के अलावा गाय और मछली पालन भी करने की तैयारी में हैं।