आपके घर और जमीन का बनेगा ‘आधार’ कार्ड! जानिए केंद्र सरकार का क्या हैं प्लान 

 

केंद्र सरकार जल्द ही वन नेशन वन रजिस्ट्रेशन कार्यक्रम के तहत जमीनों के लिए एक यूनिक रजिस्टर्ड नंबर जारी करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत जमीनों के कागजात की मदद से उनसे जुड़े रिकॉर्ड्स को डिजिटली रखा जाएगा। दरअसल इससे ना केवल पूरा काम आसान हो जाएगा, बल्कि केंद्र सरकार का मुख्य उद्देश्य पूरे लैंड रिकॉर्ड को साल 2023 तक डिजिटल करने का है। लेकिन यह कैसे काम करेगा और पूरे रिकॉर्ड को डिजिटल कैसे रखा जाएगा, हम आपको बताएंगे।

दरअसल, इस कार्यक्रम के तहत आप एक क्लिक पर अपनी जमीन से जुड़े दस्तावेजों को आसानी से देख सकते हैं। डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम और स्वामित्व योजना के तहत देश में भूमि सुधार को लेकर यह अहम कदम उठाया गया है।

आम आदमी के लिए जमीन से जुड़े दस्तावेज बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, ऐसे में अगर जमीन से जुड़े सभी रिकॉर्ड्स को डिजिटली रखा जाए, तो आने वाले समय में इसे संभालना और आसान हो जाएगा। और इसी के मद्देनजर सरकार भी यह महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, इसलिए इसे लेकर 3 सी फॉर्मूला भी दिया गया है जिससे आम आदमी को काफी फायदा होगा।

ये है 3 सी फॉर्मूला-
1. सेंट्रल ऑफ रिकॉर्ड
2. कलेक्शन ऑफ रिकॉर्ड
3. कन्वीनीएंस ऑफ रिकॉर्ड

घर का बनेगा ‘आधार’ कार्ड
– आधार की तर्ज पर सभी लैंड होल्डिंग के लिए एक यूनिक आईडी होगी
– 14 डिजिट का एक ULPIN नंबर यानी यूनिक नंबर होगा जारी
– अब देश में कहीं भी जमीन खरीदने और बेचने में नहीं होगी दिक्कत
– इसको बैंकों से जोड़ने का भी प्लान है
– इस दौरान जरूरत पड़ने पर जमीन से जुड़े विवाद की भी जानकारी होगी
– जमीन का बंटवारा होने पर, उस जमीन का आधार नंबर हो जाएगा अलग

अकसर देखा जाता है कि, जमीन को लेकर विवाद की नौबत आ जाती है। ज्यादातर मामलों में एक पक्ष दूसरे पक्ष पर आरोप लगाते हैं कि जबरदस्ती या किसी दूसरे तरीकों से उनसे उनकी जमीनें छीन ली गई है। या फिर कुछ लोग सरकारी जमीनों पर भी कब्जा कर लेते हैं। लेकिन लैंड होल्डिंग के लिए यूनिक आईडी जारी होने के बाद ऐसे मामलों में कमी जरूर आएगी। आधे से ज्यादा मामलों का निपटारा हो जाएगा। जिससे काफी आसानी हो जाएगी। इसमें सभी चीजें आधार की तर्ज पर होगी, और डिजिटल रिकॉर्ड होने के चलते जमीन की वास्तविक स्थिति का पता चल सकेगा।

दरअसल इसके तहत जमीन की नपाई ड्रोन कैमरे से होगी, जिससे गलती की गुंजाइश नहीं रहेगी। इसके अलावा, डिजिटल रिकॉर्ड होने के बाद आम आदमी कॉमन सर्विस सेंटर में जाकर पूरी डिटेल्स ले सकते हैं।