क्यों मनाते हैं आज के दिन ही संविधान दिवस? जानें इससे जुड़ी कुछ अहम बातें

 

आजाद भारत के पन्नों में 26 नवंबर बेहद ही खास दिन है. इस दिन को संविधान दिवस (Constitution Day) के रूप में मनाया जाता है. भारत में औपचारिक रूप से 26 नवंबर 1948 को संविधान को अपनाया गया था लेकिन इसे लागू 26 जनवरी 1949 को किया गया. भारत का संविधान देश के हर नागरिक को आजाद भारत में रहने का समान अधिकार देता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य देश के युवाओं के बीच में संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देना जागरूकता फैलाना है. भारत का संविधान बनाने में डॉ. बी आर अंबेडकर की अहम भूमिका रही है.  26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है.

26 नवंबर को पहले कानून दिवस के तौर पर मनाया जाता था. इसकी वजह ये थी कि 1930 में कांग्रेस लाहौर सम्मेलन में पूर्ण स्वराज की प्रतिज्ञा को पास किया गया था, इसी घटना की याद में कानून दिवस (Law day) मनाया जाता था.उसके बाद सामाजिक न्याय मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को भारत सरकार द्वारा यह फैसला लिया गया कि 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाएगा. सविंधान के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने और संवैधानिक मूल्यों के बारे में बताने और प्रचार करने का फैसला लिया गया था.

संविधान को बनने में लगे थे इतने दिन

संविधान बनने में 2 वर्ष, 11 माह 18 दिन लगे थे यह 26 नवंबर, 1949 को पूरा हुआ था. 26 जनवरी, 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ था. संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा लिखी गई थी. बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए इटैलिक अक्षरों में लिखी गई है. संविधान की असली प्रतियां हिंदी और इंग्लिश दो भाषाओं में लिखी गई थीं. आज भी भारत की संसद में हीलियम भरे डिब्बों में सुरक्षित तरीके से रखा गया है.

संविधान बनाने का मकसद

देश में रहने वाले सभी धर्म के लोगों के बीच एकता, समानता बनी रहे इसलिए सविंधान को बनाया गया ताकि सभी लोगों को बिना किसी भेदभाव के उनका अधिकार मिले. भारत के संविधान में प्रस्तावना (preamble) लिखी गई है जिसे भारतीय संविधान का परिचय पत्र कहा जाता है. इस प्रस्तावना में भारत के सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता को सुरक्षित करती है और लोगों के बीच भाई चारे को बढावा देती है.

भारतीय संविधान की प्रस्तावना

हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को

न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक,

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,

प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा,

उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढाने के लिए,

दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई0 को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं.”