एमएससी पास करने में मिली असफलता ने बदल दी जिंदगी और बन गए आईपीएस

Jobs Haryana, Success Story Of IPS Anurag Arya हमारे आसपडोस में बहुत से लोगों को हमने देखा है कि उनकी उनकी जिंदगी सही चल रही होती है लेकिन लेकिन तभी उनके साथ कोई ऐसी घटना होती है जिससे उनकी पूरी ज़िंदगी ही बदल जाती है। ये वो समय होता है जब उसे सोचना पड़ता है
 

Jobs Haryana, Success Story Of IPS Anurag Arya

हमारे आसपडोस में बहुत से लोगों को हमने देखा है कि उनकी उनकी जिंदगी सही चल रही होती है लेकिन लेकिन तभी उनके साथ कोई ऐसी घटना होती है जिससे उनकी पूरी ज़िंदगी ही बदल जाती है। ये वो समय होता है जब उसे सोचना पड़ता है कि उसे करना क्या है। तब वो जो फैसला लेता है वो उसके कैरियर (career) के लिए निर्णायक साबित होता है।

ये कहानी भी एक ऐसे शख्स की है जिसकी जिंदगी में उस समय बड़ा बदलाव आया जब वो एमएससी में फैल हो गया था और उसी हार ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। आज हम जिसके बारे में बताने जा रहे हैं उनका नाम है आईपीएस (IPS) अनुराग आर्य जिन्होने 2013 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईपीएस बने। आईपीएस बनने के सफर को लेकर उन्होने बताया कि इंग्लिश में कमजोर होने के कारण वो एमएससी में फेल हुए तो उन्होंने एमएससी की पढ़ाई छोड़कर कुछ समय अपने कैरियर को लेकर सोचा। इसके बाद जुट गए आईपीएस की तैयारी में। चलिए आज जानते हैं अनुराग आर्य की आईपीएस की यात्रा के बारे में: यूपी के बागपत जिले के छपरौली गांव से हैं

अनुराग उत्तर प्रदेश (UP) के बागपत (Baghpat) जिले के एक छोटे गांव छपरौली से हैं। वे अपनी माँ डॉ। पूनम आर्य और पत्नी वनिका सिंह के साथ रहते हैं। वनिका पीसीएस (PCS) हैं और यूपी में ही कमर्शियल टैक्स ऑफिसर के पद पर तैनात हैं। माँ पूनम आर्य होम्योपैथी डॉक्टर हैं। पिता भी डॉक्टर हैं, लेकिन शादी के दो साल बाद वैचारिक मतभेद के चलते माँ- पिताजी अलग हो गए और मां छह महीने के अनुराग को लेकर अपने मायके छपरौली चली आईं।

अगर बात करें उनके जीवन के बारे में तो वो गांव में रहते थे। उन्होंने सातवीं कक्षा तक कि पढ़ाई गांव के सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय से की। उस समय उन्हें इंग्लिश की वजह से बहुत दिक्कत होती थी। खासतौर पर इंग्लिश बोलने में। उन्हें लगता था कि इंग्लिश की वजह से ही गांव के बच्चे शहर के बच्चों से पिछड़ जाते हैं। लेकिन शिशु मंदिर में उन्हें अच्छे संस्कार जरूर मिले।

वर्ष 2008 में उनका दाखिला देहरादून के इंडियन मिलिट्री स्कूल (IMS) में हो गया। यहां के माहौल में शुरुआत में थोड़ी समस्या जरूर हुई, लेकिन फिर उनकी इंग्लिश और अनुशासन दोनों सुधरते चले गए। पर्सनालिटी डेवेलोप हुई। घुड़सवारी, माउंटेनियरिंग और राफ्टिंग जैसे खेलों में कई मेडल जीते। इसके बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से फिजिक्स में ग्रेजुएशन की।

बीएचयू से लौटकर उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के हिन्दू कॉलेज में एमएससी की पढ़ाई शुरू की। 2011 में वे एमएससी फाइनल में दो विषयों में फेल (failure) हो गए। उन्हें बहुत धक्का लगा और उन्होंने एमएससी की पढ़ाई वहीं छोड़ दी। कुछ समय तक काफी-सोच विचार किया। तब उन्हें लगा कि ये फील्ड उनके लिए है ही नहीं। तब उन्होंने आईपीएस बनने का फैसला किया और इसकी तैयारी शुरू कर दी। वे कहते हैं कि अगर आप किसी फील्ड में फेल हो जाते हैं तो दूसरी फील्ड में बहुत अच्छा कर सकते हैं।

अनुराग ने 2013 में आईपीएस मेंस की परीक्षा दी। तभी उनका सिलेक्शन रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) में मैनेजर पद पर हो गया। उन्होंने नौकरी जॉइन भी कर ली। वे 8 महीने तक कानपुर में पोस्टेड रहे। इसके बाद पहले ही प्रयास में उनका आईपीएस में सिलेक्शन हो गया। उनकी रैंक 163 रही। तब वे बैंक की नौकरी छोड़कर आईपीएस की ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद स्थित नेशनल पुलिस एकेडेमी (NPA) चले गए। एक साल की ट्रेनिंग के बाद ग़ाज़ियाबाद में अंडर ट्रेनिंग पोस्टेड हुए।

अनुराग शुरुआती ढाई साल में चार जिलों में एसपी (SP) रहे। इनमें 6 महीने अमेठी, 4 महीने बलरामपुर, 14 महीने मऊ और 5 महीने प्रतापगढ़ में एसपी रहे। फिलहाल वे बरेली में एसपी इंटेलिजेंस के पद पर तैनात हैं।