Aghori: ऐसे संत जिनका श्मशान में होता है डेरा....आखिरकौन होते हैं अघोरी? क्यों रहते हैं दुनिया से अलगजानें इनके बारे में पूरी जानकारी

 

Aghori Koun Hote hain : अघोरी एक ऐसा नाम  है जिसे सुनते ही सभी के मन में एक ऐसी तस्वीर उभर कर आती है, जिसकी लंबी-लंबी जटाएं हों, जिसका शरीर राख में लिपटा हो और जिन्होंने मुंड मालाएं गले में धारण की हों. माथे पर चंदन का लेप और उसके ऊपर उभरा हुआ तिलक. यह डरावना स्वरूप हर किसी के मन में भय पैदा कर सकता है परंतु इनके नाम का अर्थ विपरीत होता है. अघोरी नाम का अर्थ होता है, एक ऐसा व्यक्ति जो सरल है, डरावना नहीं है, जो किसी से भेदभाव नहीं करता. यह अक्सर आपको श्मशान के सन्नाटे में जाकर तंत्र क्रिया करते हुए देखे जा सकते हैं. 

 

 

क्या है घोर पंथ का इतिहास

बता दें कि भगवान शिव को अघोर पंथ का प्रणेता माना जाता है. कहा जाता है भगवान शिव ने ही अघोर पंथ की उत्पत्ति की थी. वहीं भगवान शिव के अवतार भगवान दत्तात्रेय को अघोर शास्त्र का गुरु माना जाता है. भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा और भगवान शिव इन तीनों के अंश और स्थूल रूप से दत्तात्रेय ने अवतार लिया था. अघोर संप्रदाय में बाबा कीनाराम की पूजा की जाती है. इस संप्रदाय के अघोरी भगवान शिव के अनुयाई माने जाते हैं.

कहां और कैसे करते हैं साधना?

मान्यता के अनुसार, श्मशान घाट में अघोरी 3 तरह से साधना करते पाए जाते हैं. पहली श्मशान साधना, दूसरी शिव साधना और तीसरी शव साधना. इस तरह की साधनाएं कामाख्या पीठ के श्मशान, तारापीठ के श्मशान, त्रंबकेश्वर और उज्जैन के चक्रतीर्थ के श्मशान में की जाती है. मान्यताओं के अनुसार अघोरी जब शव के ऊपर पैर रखकर साधना करता है तो वह शिव और शव साधना कही जाती है.

 

क्या है इस साधना का मूल

इस साधना का मूल शिव की छाती पर माता पार्वती का पैर रखा हुआ माना जाता है. इस साधना में प्रसाद के रूप में मुर्दे को मांस और मदिरा चढ़ाई जाती है. इसके अलावा तीसरी साधना श्मशान साधना मानी जाती है. इस साधना में परिवार के लोगों को भी शामिल किया जा सकता है. इस साधना के दौरान मुर्दे के स्थान पर शवपीठ की पूजा की जाती है. इस जगह पर प्रसाद के रूप में मांस मदिरा के स्थान पर मावा अर्पित किया जाता है.

कैसा होता है अघोरियों का स्वभाव?

मान्यताओं के अनुसार, अघोरियों का स्वभाव बड़ा ही रूखा होता है. ऊपर से भले ही यह आपको रूखे नजर आते हैं परंतु इनके मन में जनकल्याण की भावना निहित होती है. कहा जाता है यदि अघोरी किसी व्यक्ति पर प्रसन्न हो जाते हैं तो अपनी सिद्धि का शुभ फल देने में कभी पीछे नहीं हटते और अपनी तांत्रिक क्रियाओं का रहस्य भी उस व्यक्ति के सामने उजागर कर देते हैं. यह जिन पर प्रसन्न हो जाते हैं उन्हें तंत्र किया सिखाने के लिए भी तैयार हो जाते हैं. परंतु इनका गुस्सा अत्यंत खराब होता है.