बहुत ज्‍यादा थकान से कैसे खराब होती है आपकी नींद, अपनाएं 3 तरीके, पाएं समस्‍या से निजात

 

Overtiredness & Sleep: आपका पूरा दिन मानसिक और शारीरिक तौर पर काफी थकान भरा रहा है. ऐसे में आप लंबी और गहरी नींद लेकर खुद को हर तरह से आराम देना चाहते हैं. कई बार आपने महसूस किया होगा कि इसी समय आपका दिमाग आपको परेशान करने लगता है और सोने नहीं देता है.

आपके दिमाग में तरह-तरह के विचार आने लगते हैं और आप करवटें बदलते रहते हैं. कई बार आप विचारों को थामने के लिए टीवी, मोबाइल या टैब पर अपने पसंदीदा प्रोग्राम देखने लगते हैं. कुल मिलाकर आप सो नहीं पाते हैं. आपका दिमाग आपको ठीक उस समय सोने से रोक देता है, जब आपके मस्तिष्‍क और शरीर को नींद की सबसे ज्‍यादा जरूरत होती है.

ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि आप सोने के लिए जरूरी थकान से ‘बहुत ज्‍यादा थके’ हुए हैं. आपने कभी देखा होगा कि जब छोटे बच्‍चे अपने शरीर की क्षमता से ज्‍यादा जाग लेते हैं तो उन्‍हें सोने में परेशानी होने लगती है. उनके साथ ऐसा ‘अत्‍यधिक थकान’ की अवस्‍था में पहुंचने के कारण होता है. युवाओं और उम्रदराज लोगों में भी यही समस्‍या हो सकती है.

हालांकि, उनमें अनियंत्रित भावनाएं शरीर के डिफॉल्‍ट शटडाउन प्रोग्राम को रोक देती हैं. इसलिए उन्‍हें अत्‍यधिक थकान में नींद नहीं आती है. अगर आप लगातार बहुत ज्‍यादा थके हुए हैं तो नींद में जाना और ज्‍यादा मुश्किल होता जाएगा. यहां हम वैज्ञानिक शोध पर आधारित तीन ऐसे तरीके बता रहे हैं, जिनको अपनाकर आप अत्‍यधिक थके होने पर भी आसानी से नींद में जा सकते हैं.

अत्‍यधिक थकान कैसे बिगाड़ती है नींद?

सबसे पहले ये समझते हैं कि अत्‍यधिक थकान आपकी नींद को खराब कैसे करती है. विशेषज्ञों के मुताबिक, अत्‍यधिक थका होना बेहद खराब विरोधाभास है. इसमें आप शरीर को आराम देना चाहते हैं और आपके लिए सोना मुश्किल हो जाता है. जब आप शारीरिक और मानसिक कामों से खुद को काफी थका हुआ महसूस कर सकते हैं, तो आपका मस्तिष्क वास्तव में अत्यधिक उत्तेजित अवस्‍था में होता है.

इसे हाइपरसोरल कहा जाता है. दिमाग के उत्तेजित होने का मतलब है कि आपका दिमाग हाई अलर्ट पर है. उसे सोने से पहले आराम करने का बिलकुल मौका नहीं मिल पाया है. यह नींद के दबाव बनने की प्रक्रिया को रोक देता है. जब आप दिन में लगातार जागते हैं, तो मस्तिष्क में न्यूरोकेमिकल्स और हार्मोन एकाग्रता में वृद्धि करते हैं. नींद मस्तिष्क को बहुत ज्‍यादा उत्तेजित होने और फटने जैसा दर्द होने से रोकती है.

ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में तंत्रिका विज्ञान के प्रोफेसर मैट जोंस कहते हैं कि नींद का दबाव बनाने के साथ मस्तिष्क की बाहरी परत यानी आपके सेरेब्रल कॉर्टेक्स में न्यूरॉन्स जागने के दौरान तेजी से उत्‍तेजना पैदा करते हैं. नींद आपके नींद के दबाव को रीसेट करती है. नींद मस्तिष्क को बहुत ज्‍यादा उत्तेजित होने और फटने जैसा दर्द होने से रोकती है. हाइपरसोरल की स्थिति ब्रेनस्टेम के छोटे से हिस्से लोकस कोएर्यूलस को प्रभावित करती है.

नींद में जाने के लिए दिमाग के इस हिस्‍से की गतिविधियां धीमी होनी जरूरी हैं. अगर इस हिस्‍से में असामान्‍य और तेज गतिविधियां होंगी तो नींद उड़ जाती है. जोंस के मुताबिक, अगर आप नियमित तौर पर थके हुए हैं और नींद नहीं ले पा रहे हैं तो अगली रात फिर परेशानी से गुजरेगी.