बारूद के ढेर पर जिंदगी: उठने लगीं लपटें...होने लगे धमाके, जान बचाने के लिए चीखती रही बेटियां, पापा हमें बचा लो

घर में पटाखों से विस्फोट हुआ तो बेटियां चीखती रहीं कि पापा हमें बचा लो...।
 

खतरे में जान डालकर जिंदगी जीने की कीमत अजीम बेग को अपनी तीन बेटियों की जान देकर चुकानी पड़ी

खतरे में जान डालकर जिंदगी जीने की कीमत अजीम बेग को अपनी तीन बेटियों की जान देकर चुकानी पड़ी। पीलीभीत के जहानाबाद के जोशी टोला में जिस वक्त आतिशबाजी के कारोबारी अजीम बेग के घर में पटाखों से विस्फोट हुआ तो उनकी बेटियां चीखती रहीं कि पापा हमें बचा लो...। मजबूरी ऐसी थी कि मदद को कोई आगे न आ सका। विस्फोट और धमाकों ने पड़ोसियों को दूर कर दिया था। पटाखे और उनसे बनने वाली सामग्री नियमत: आबादी से दूर किसी गोदाम में रखी जानी चाहिए। अजीम बेग ने इसे नजरअंदाज किया। वह घर में ही पटाखा स्टोर करते थे। आखिर मंगलवार को हादसा हो ही गया। कुछ लोग मदद को आगे भी बढ़े लेकिन दूर-दूर गिर रहीं ईंटों से बचने के लिए लोग पीछे हट गए। अजीम का परिवार खुद बचाने के लिए इधर-उधर भागता रहा और झुलस रहीं तीन बेटियों को देखता रहा।   

बाद में आग आग बुझाने और बचाव कार्य में लगे युवक सारिक खान ने बताया कि चौतरफा आग ही आग नजर आ रही थी। अंदर से बेटियों की आवाज आ रही थी कि पापा हमें बचा लो...पापा हमें बचा लो। जब थोड़ी सी आग कम हुई तो अजीम बेग की दो पुत्रियों निशा (17) और सानिया (15) को सबसे पहले निकाला गया। 

नगमा मलबे में दब गई थी। उसे निकालने में समय लगा। सारिक ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर हर कोई मौके की ओर दौड़ पड़ा था लेकिन आग बुझाने के लिए पानी की मोटर नहीं चल पा रही थी क्योंकि बिजली नहीं थी।

 

 

लोग लाइन बना खड़े हो गए और एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को बाल्टी थमा रहे थे, इससे आग बुझाने का प्रयास किया गया। पानी डालने वाले युवा अधिक थे। दमकल घटना के डेढ़ घंटे बाद पहुंच पाई। आग पर काबू तब पूरी तरह से पा लिया गया था। नगर पालिका का टैंकक भी मंगाया गया। वह दमकल से पहले आ गया था। उससे आग पर काबू पाने में मदद मिली। तीन बहनों की मौत की खबर मिलते ही अजीम का पुत्र ताजीम बेहोश हो गया। 

 

स्काई शॉट बनाते वक्त हादसा होने की होती रही चर्चा
पुलिस अफसर भले ही बिक्री के लिए रखी आतिशबाजी का हवाला दे रहे हों, मगर आसपास के लोगों में स्काई शॉट (हवाई पटाखा) बनाते वक्त हादसा होने की आम चर्चा है। कुछ लोग लंबे समय से घर के अंदर पटाखा बनाने की बात भी कह रहे थे। लोगों का कहना था कि गोदाम तो बस नाम का है, काम तो घर पर ही होता है। यहां कोई चेकिंग के लिए नहीं आता। अगर समय से चेकिंग की गई होती, तो हादसा नहीं होता।

बारिश ने जनहानि होने से रोका
विस्फोट के दौरान मकान में जबरदस्त हादसा हुआ और दूर-दूर तक ईंटों के टुकड़े जाकर गिर रहे थे। अगर बारिश नहीं हो रही होती, तो हादसा और भी बड़ा हो सकता था। आग की लपटों पर काबू पाना काफी मुश्किल होता। बारिश होने के कारण लोग घरों में थे। आग की लपटों पर भी जल्दी काबू पा लिया गया। बारिश के कारण आग आसपास के घरों तक नहीं पहुंच सकी। सिर्फ वही घर क्षतिग्रस्त हुए जिन पर मलबा गिरा था।
 

पूरी तरह जल चुका था तीनों का शरीर
जिला अस्पताल के कार्यवाहक सीएमएस डॉ. डीएस यादव ने बताया कि निशा, सानिया करीब 95 फीसदी जल चुकी थीं। नगमा करीब 80 फीसदी जली थी। तीनों को प्राथमिक उपाचर के बाद बरेली रेफर किया गया था। 

विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के उल्लंघन का दर्ज होगा मुकदमा
प्रारंभिक जांच में जो बात सामने आ रही है, उसके मुताबिक सिर्फ 15 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री रखने और पटाखे तैयार करने का लाइसेंस था। जिस चौहद्दी के लिए लाइसेंस दिया गया उससे अलग कारोबारी ने अपने घर पर विस्फोटक सामग्री रखी और पटाखों का बड़ी मात्रा में भंडारण करने की बात सामने आई है।

 

 लोगों से बातचीत से पता चला है कि घर से ही आतिशबाजी का कारोबार हो रहा था। यह लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन है। इसलिए विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के उल्लंघन की रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। - पुलकित खरे, जिलाधिकारी।