हरियाणा में शराबी ने डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को लिखा पत्र, देशी शराब का फ्लेवर बदलने की उठाई मांग 

 

हिसार | हरियाणा के हिसार ज़िले का एक शराबी अपनी अजीबोगरीब गतिविधि की वजह से सुर्खियों में बना हुआ है. सुर्खियों में आने की वजह उसके द्वारा सूबे के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को लिखा गया एक पत्र है. इस पत्र में इस शख्स ने डिप्टी सीएम से देशी शराब का फ्लेवर बदलने की मांग की है. शराबी का कहना है कि देशी शराब से आने वाली बदबू से घर में खलबली मची हुई है और पत्नी ताने मारती है. 

बता दें कि हिसार ज़िले के गांव माजरा प्याऊ निवासी वीरेंद्र सांगवान के लिखें इस पत्र से मची खलबली का यह मामला डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के पास पहुंचने वाला है. उसका कहना है कि गरीब लोग मजबूरी में देशी शराब पीते हैं लेकिन देशी शराब की क्वालिटी बहुत खराब हो चुकी है और पीने पर बूरी तरह से बदबू मारती है, जिसके चलते बीबी भी पास आकर नहीं बैठती है. 

डिप्टी सीएम को लिखे पत्र में ये लिखा 

निवेदन यह है कि डिप्टी सीएम जी, हम आपके ध्यान में यह बात लाना चाहते हैं कि आजकल देशी शराब कंपनियों द्वारा जो शराब बनाई जा रही है वह बहुत ही घटिया स्तर की है. हम गरीब आदमी है और देशी शराब ही पीते हैं. लेकिन, ये शराब पीने के बाद मुंह से बदबू इतनी आती है कि हमें पास बैठाने से लोग कतराते हैं. अगर इसका फ्लेवर बदल दिया जाएं तो मुंह से बदबू आनी बंद हो जाएगी और समाज में हमारी इज्जत बनी रहेगी और घरवाली भी बदबू से परेशान नहीं होगी. 

डिप्टी सीएम को लिखे पत्र में लिखा गया है कि हम भी देशी शराब खरीदकर सरकार के राजस्व में इजाफा करते हैं तो थोड़ा बहुत हमारी बात पर भी गौर करना चाहिए. इन देसी शराब बनाने वाली कंपनियों को आदेश दिया जाए कि बदबू रहित शराब बनाई जाए. आपकी अति कृपा होगी. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर मुरथल स्थित शराब कंपनियों को भी पत्र लिखें गए हैं लेकिन अभी तक ना तो आबकारी विभाग और ना ही शराब कंपनी की ओर से पत्र का कोई जवाब आया है. उसने यह पत्र मार्च 2022 में लिखा था लेकिन अब अचानक से वायरल हो गया है. 

शराबियों की सामूहिक समस्या 

वीरेंद्र सांगवान ने कहा कि शराब पीने वालों को समाज में इज्जत की दृष्टि से नहीं देखा जाता है. लेकिन सोचिए, अगर शराब पीने से बदबू आने की समस्या से निजात मिल जाए तो समाज के बीच इनकी भी इज्जत बनी रहेगी. ये कोई अकेले उनकी नहीं, बल्कि सभी शराबियों की सामूहिक समस्या है लेकिन ना तो कोई इसे उठाता है और ना ही कोई संजीदगी से समझता है.