IAS Sivaguru Prabhakaran: फैक्ट्री में काम करने वाला युवक बना IAS अधिकारी….काफी प्रेरक है ये प्रेरणादायक कहानी

 

IAS Sivaguru Prabhakaran: देश के सबसे कठिन परीक्षाओं में आईटी और UPSC और IIT का नाम आता है। इन परीक्षाओं को पास करने के लिए अभ्यार्थी दिन रात एक कर देते हैं। इसमें कई ऐसे छात्र होते हैं जिनके पास सभी सुविधाएं मौजूद होती हैं। वहीं कई ऐसे अभ्यर्थियों का नाम भी सामने आता है. आज के वक्त में लाखों लोग आईएएस-पीसीएस की तैयारी कर रहे हैं. आपने यूपीएससी क्रैक करके आईएएस-आईपीएस बनने वाली कई संघर्ष की कहानियां पढ़ी और सुनी होगी. आज एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं जो काफी प्रेरक है. 

 

 

जिनके पास मूलभूत सुविधाएं भी नहीं होने के बावजूद वह अपने पूरे परिवार का नाम रोशन करते हैं। आज हम ऐसे एक आईएएस ऑफिसर एम शिवगुरु प्रभाकरन (IAS Sivaguru Prabhakaran) की बात कर रहे हैं। उन्हें यह कामयाबी बड़े ही संघर्ष के बाद मिला है। आज शिव गुरु लाखों युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं।

 

किसान घर में जन्म लेने वाले शिव गुरु के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उनके पिता गलत आदतों के आदि थे। इस वजह से घर में आर्थिक समस्या बनी रहती थी। घर चलाने के लिए घर के सभी सदस्यों को खेतों में काम करना पड़ता था। मां और बहन दिन में खेत में काम करने के बाद रात में टोकरियां बनाती थी। शिवगुरु से यह सब देखा नहीं गया। वह भी पढ़ाई लिखाई त्याग कर काम करने लगे।

 

शिवगुरु बताते हैं कि ”मैं अपनी आकांक्षाएं छोड़ने के लिए तैयार नहीं था. इसलिए अपने भाई की इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए भुगतान करने और अपनी बहन की शादी करने के बाद, शिवगुरु ने 2008 में अपनी पढ़ाई खुद करने का फैसला किया। जिसके बाद उन्होंने वेल्लोर के थानथाई पेरियार गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी में सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए दाखिला लिया।

आपको बता दें कि यह बहुत मुश्किल था क्योंकि शिवगुरु सप्ताह के अंत में पढ़ाई करते थे और उन्हें सेंट थॉमस माउंट स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर रात बितानी पड़ती थी। साथ ही उन्हें अपनी जीविका चलाने के लिए पार्ट टाइम नौकरी भी करनी पड़ी।

यह प्रभाकरन का समर्पण और दृढ़ता ही थी जो 2014 में रंग लाई। उन्होंने अपना एम.टेक पाठ्यक्रम उच्चतम रैंक के साथ पूरा किया और आईआईटी मद्रास में प्रवेश पाने में सफल रहे। आईआईटी पास करने और एम.टेक पूरा करने के बाद, प्रभाकरन ने आईएएस बनने के अपने सपने की ओर कदम बढ़ाने का फैसला किया। वह यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अपने चौथे प्रयास में सफल रहे और अखिल भारतीय 101वीं रैंक हासिल कर आईएएस अधिकारी बन गये।