Success Story: लाखों का पैकेज छोड़ पति ने संभाला घर, पत्नी पढ़ाई कर बनी जज 

 

रोहतक :- लोगों की बदलती सोच ने आज समाज को भी बदल दिया है. पति घर के बाहर काम करेगा और पत्नी घर संभालेगी, यह कहावत अब बदल चुकी है. पति-पत्नी अब कंधे से कंधा मिलाकर अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं, बल्कि यूं कहें एक-दूसरे की शक्ति बन रहे हैं, जोकि बदलते समाज के लिए एक अच्छा संकेत है. आज हम आपको रोहतक के एक ऐसे ही Married Couple के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने समाज को एक नई दिशा प्रदान की है तथा समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि दोनों मिलजुल कर मेहनत करें तो कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जो नहीं हो सकता. 

मंजुला भालोठिया रही टॉपर  

ऐसी ढेरों कहानियां होंगी जिनमें देखने को मिलेगा कि हर आदमी की सफलता के पीछे किसी औरत का हाथ होता है लेकिन आज हम आपको उस महिला के बारे में बताएंगे जो एक आदमी की वजह से सफल हुई है. और वह आदमी कोई और नहीं उसका पति है. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा का परीक्षा का Result आया तो उसमें रोहतक की मंजुला भालोठिया शीर्ष स्थान पर रहीं. यह Achievement देखने में सामान्य लग रही है क्योंकि हर परीक्षा का कोई ना कोई Topper होता ही है लेकिन मंजुला की कहानी थोड़ी अलग है. 

पति ने छोडी लाखों की नौकरी 

मंजुला और उसके पति सुमित अहलावत रोहतक में रहते हैं. सुमित एक कंपनी में नौकरी करते हैं जहां उनका Package लाखों रुपयों में है . मंजुला का सपना था कि वह जज बने लेकिन इस सपने के बीच में बच्चों की जिम्मेदारी एक बड़ी चुनौती के रूप में आड़े आ रही थी. बच्चों की देखभाल के साथ-साथ पढ़ाई करना आसान नहीं था. सुमित ने मंजुला की पढ़ाई के लिए अपनी Job छोड़ दी और खुद घर की जिम्मेदारी ली. घर का खर्च चलाने के लिए मंजुला पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी भी करती थी, वहीं, सुमित बच्चों की देखभाल कर रहे थे, बच्चों के लिए खाना बनाना, बच्चों को स्कूल भेजना यह सब कार्य अब सुमित कर रहे थे इस प्रकार सुमित एक House Husband का Role काफी अच्छे से निभा रहे थे. 

दोस्तों और रिश्तेदारों ने दिए ताने  

सुमित के नौकरी छोड़ने पर उसके दोस्तों और रिश्तेदारों ने काफी सवाल उठाए, उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है, सुमित के रिश्तेदारों ने कहा कि तुम तो एक औरत की तरह घर का काम करने लग गए हो जो तुम्हारे Future के लिए अच्छा नहीं है. लेकिन सुमित ने किसी की एक न सुनी और खुशी-खुशी घर की जिम्मेदारियों में लगा रहा. दूसरी तरफ मंजुला ने तीन बार Judicial की परीक्षा दी, लेकिन सफलता नहीं मिली. मंजुला की हिम्मत कमजोर होती तो सुमित उसे हौसला देता और सिर्फ यही कहता कि अगली बार अच्छा होगा. 

खुशी में बदल गया माहौल 

12 सितम्बर को जब उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा का परिणाम घोषित हुआ तो सुमित ने ही रिजल्ट देखा और मंजुला के सामने गया तो उसकी आंखें नम थी. मंजुला ने सोचा कि इस बार भी उसका Selection नहीं हुआ लेकिन थोड़ी देर चुप होने के बाद माहौल खुशी में तब बदल गया जब सुमित ने बताया कि उसने टॉप किया है. मंजुला और सुमित ने बताया कि कैसे उन्होंने एक-दूसरे की हिम्मत बढ़ाई और इस Target को हासिल किया है और सुमित ने जिस तरह से एक ‘हाउस हस्बैंड’ बनकर पूरे घर की जिम्मेदारी संभाली वह तारीफ के काबिल है. 

इस तरह की कहानी हरियाणा के देहात समाज में मिलनी आसान नहीं है लेकिन मंजुला की सफलता प्रेरणा देती है कि महिला और पुरुष दोनों में कोई अंतर नहीं है. दोनों यदि एक दूसरे का सहारा बनकर कोई कार्य करें तो ऐसा कुछ भी नहीं है जो असंभव हो.