क्या है BIMSTEC, जिसकी समिट में पीएम नरेंद्र मोदी ने एकता और सहयोग को बताया जरूरी, जानिए क्यों है यह अहम??
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार की सुबह श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में चल रहे 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में एकता और सहयोग समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में यूरोप के घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। 5वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की मेजबानी श्रीलंका कर रहा है, जो सात देशों के समूह का मौजूदा अध्यक्ष है।
पीएम मोदी ने कहा कि यह समय बंगाल की खाड़ी को “कनेक्टिविटी, समृद्धि और सुरक्षा का पुल” बनाने का है, और बिम्सटेक देशों से 1997 में हासिल किए गए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नए उत्साह के साथ काम करने के लिए खुद को समर्पित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “इस ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के परिणाम बिम्सटेक के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखेंगे।”
बिम्सटेक (BIMSTEC — Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation यानी बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल) एक क्षेत्रीय समूह है, जिसमें भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं।
यह बंगाल की खाड़ी में बसे 7 देशों का ऐसा अहम समूह है, जिसमें पाकिस्तान और चीन शामिल नहीं हैं। साथ ही यह चीन के प्रभाव को रोकने, पड़ोसी मुल्कों को साथ लाने और एक-दूसरे की अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने का बेहतरीन अवसर उपलब्ध कराने का उचित माध्यम है।
पीएम मोदी ने कहा, “इस ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के परिणाम बिम्सटेक के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय लिखेंगे।” बोले कि भारत अपने परिचालन बजट को बढ़ाने के लिए बिम्सटेक सचिवालय को एक मिलियन डॉलर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, “(बिम्सटेक) सचिवालय की क्षमता को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। मेरा सुझाव है कि महासचिव इसके लिए एक रोडमैप तैयार करें।”
विदेश मंत्रालय ने हाल ही में कहा था, “कोविड-महामारी से संबंधित चुनौतियां और अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के भीतर अनिश्चितताएं, जिनका सभी बिम्सटेक सदस्य सामना कर रहे हैं, बिम्सटेक तकनीकी और आर्थिक सहयोग को अगले स्तर तक ले जाने के लक्ष्य को अधिक तात्कालिकता प्रदान करते हैं। शिखर सम्मेलन में नेताओं द्वारा विचार-विमर्श का इसके मुख्य विषय होने की उम्मीद है।” मंत्रालय ने कहा कि नेताओं के समूह के बुनियादी संस्थागत ढांचे और तंत्र की स्थापना पर भी चर्चा करने की उम्मीद है।