बाबा आमटे दिव्यांग यूनिवर्सिटी के कुलपति बने प्रोफेसर देव स्वरूप,इस से पहले दो बार दे चुके हैं पद से इस्तीफा, जानें क्या था कारण 

बाबा आमटे दिव्यांग यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर देव स्वरूप को नियुक्त किया गया है।इनकी नियुक्ति राज्यपाल कलराज मिश्र ने की है।
 

Vice Chancellor Professor Dev Swaroop: बाबा आमटे दिव्यांग यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर देव स्वरूप को नियुक्त किया गया है।इनकी नियुक्ति राज्यपाल कलराज मिश्र ने की है। आपको बता दें की इससे पहले देव स्वरूप राजस्थान यूनिवर्सिटी और लॉ यूनिवर्सिटी के भी कुलपति भी रह चुके हैं। जिन्होंने बाद में डिग्री विवाद की वजह से इस्तीफा दे दिया था। 

 उनकी गिनती मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वसनीय लोगों में होती है।

इससे पहले भी सीएम गहलोत की अनुशंसा पर ही उन्हें लॉ यूनिवर्सिटी का पहला कुलपति नियुक्त किया गया था।

 क्योंकि पहले कुलपति की नियुक्ति सीधे राज्य सरकार की संयुक्ति पर होती है।

पहले  2 बार दे चुके है कुलपति पद से इस्तीफा 


बाबा आमटे दिव्यांग यूनिवर्सिटी के पहले कुलपति प्रोफेसर देव स्वरूप इससे पहले भी 2 बार कुलपति रह चुके है। 

लेकिन दोनों ही बार उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

 साल 2014 में भी वह राजस्थान यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दें चुके है।

 साल 2013 में देवस्वरूप के खिलाफ भर्ती को लेकर आरोप लगे थे।

इसके बाद नवम्बर 2014 में विवादों में आने के बाद स्वरूप ने प्रशासनिक काम में सरकार की ओर से सहयोग नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए इसतीफा दे दिया था। 

वहीं पिछले साल दिसंबर में भी उन्होंने उनके खिलाफ योग्यता को लेकर शुरू हुई जांच के बाद अपना कार्यकाल खत्म होने से 2 महीने पहले ही इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया था।

डिग्री को लेकर था पहले  विवाद

डॉ. देव स्वरूप की एलएलबी डिग्री को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे। डॉ. देव स्वरूप पूर्व में जब राजस्थान यूनवर्सिटी के कुलपति थे।

 तो उन्होंने अपने आवेदन में खुद के पास एलएलबी डिग्री होना बताया था। 

लेकिन जब उन्होंने डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्याल के कुलपति पद के लिए आवेदन किया।

तो उसमें अपनी एलएलबी डिग्री छुपाई थी। इसे लेकर राजभवन ने जांच कमेटी का गठन किया था।

 जब कमेटी ने जब जांच शुरू की और डॉ. देव स्वरूप ने उनकी डिग्रियों की जानकारी चाही।

 तो उन्होंने अपनी डिग्रियों की जानकारी देने से ही मना कर दिया था।