UPSC Motivation Story: 99% युवा इस वजह से नहीं बन पाते हैं IAS-IPS, इस शख्स ने बताई ये 6 गलतियां; आप आज ही सुधारें
UPSC aspraint Hindi: यूपीएससी की सिविल सेवा (UPSC Civil Service Exam ) परीक्षा को पास करना कोई आसान काम नहीं होता है. हर साल लगभग 9 से 10 लाख उम्मीदवार इस परीक्षा के लिए आवदेन करते हैं, लेकिन सिर्फ 700-800 अभ्यर्थियों को ही सफलता मिलती है. ऐसा नहीं है कि बाकी कैंडिडेट्स पढ़ाई नहीं करते हैं या जो चुन लिए जाते हैं उनमें ज्यादा खूबी होती है. कई लोगों के साथ ऐसा भी होता है कि वे पहले या दूसरे प्रयास में ही प्रीलिम्स निकाल लेते हैं और आगे के चरण के लिए वे निश्चिंत हो जाते हैं. ऐसे में आपको इस तरह के ओवर कॉन्फिडेंस से बचना चाहिए. जानते हैं रजत संब्याल के बारे में जिन्होंने 10 साल UPSC के रण में खपाए.
रजत सम्बयाल ने बताई अपनी गलतियां
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उन्होंने बताया कि उम्मीदवार को प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू की तैयारी एक साथ करना चाहिए. प्रीलिम्स की तैयारी कर कभी भी परीक्षा न दें. इससे आपका अटेम्प्ट और समय बर्बाद होगा. वे बताते हैं कि कॉलेज से पासआउट होने के बाद ही उन्होंने यूपीएससी का फॉर्म भर दिया और तीन माह की तैयारी कर प्रीलिम्स दे दी और प्रीलिम्स परीक्षा पास भी कर ली, लेकिन मेन्स की तैयारी के लिए सिर्फ 3 माह का समय था और उनकी तैयारी नहीं थी. ऐसे में उनका मेन्स कुछ नंबरों से क्लियर नहीं हो पाया.
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आप UPSC के किसी भी स्टेज को हल्के में न लें. वे बताते हैं कि उनका प्रीलिम्स पहली बार में ही निकल गया था, लेकिन दूसरी बार जब 2016 में प्रीलिम्स दिया तो वे फेल हो गए. ऐसे में आपको कभी भी ओवर कॉन्फिडेंस में नहीं आना चाहिए.
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वे बताते हैं कि 2017 में उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा के पुराने प्रश्न पत्रों पर ध्यान नहीं दिया और ज्यादा से ज्यादा मॉक टेस्ट दिए, लेकिन ज्यादा मॉक टेस्ट देना भी मेरी गलती थी. वे कहते हैं कि मॉक टेस्ट नॉलेज बेस्ड रहता है, जबकि UPSC लॉजिक बेस्ड पेपर बनाता है.
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उन्होंने बताया कि परीक्षा के दौरान वे तनाव में आ गए थे और उन्हें मानसिक समस्याएं परेशान करने लगी थीं. इस वजह से उन्हें एग्जाम देते वक्त डर लगता था कि उन्हें सर्वाइकल की दिक्कत न हो. इस वजह से उन्हें प्रश्न हल करने में ज्यादा टाइम लगता था और एग्जाम पर फोकस कम हो गया था. इस गलती को उन्होंने आगे के अटेम्प्ट में समझा और पॉजिटिविटी के साथ परीक्षा दी.
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5वें अटेम्प्ट में उन्होंने पुराने प्रश्न पत्रों का विश्लेषण किया और उनका प्रीलिम्स क्लियर हो गया, लेकिन इस बार उन्होंने मेन्स के आंसर को अच्छे मेंटर से चेक नहीं करवाया. अपने द्वारा लिखे गए निबंध को किसी से पढ़वाया नहीं. ये उनकी गलती थी.
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उन्होंने बताया कि छठे और आखिरी अटेम्प्ट में प्रीलिम्स और मेन्स दोनों क्लियर हो गए, लेकिन साक्षात्कार में ओवर एनालिसिस कर दिया. कुछ ज्यादा नंबर मिले. इस वजह से मेरे दिमाग में क्रिटिकल चीजें चल रही थीं. पर्सनैलिटी टेस्ट में क्रिटिकल रिव्यू देने की वजह से मुझे नुकसान हुआ.