'सैनी कैबिनेट' में पुराने 5 मंत्रियों को नहीं मिली जगह, अनिल विज को क्यों नजरअंदाज किया गया?

 
हरियाणा की नई कैबिनेट में 5 पुराने चेहरों को तवज्जो नहीं दी गई. यह भी कहा जा रहा है कि मनोहर सरकार की पहली पसंद बने मंत्री नायब सैनी की आखिरी पसंद भी नहीं बन सके. इसमें सबसे पहला और बड़ा नाम पूर्व गृह मंत्री अनिल विज का है। इसके अलावा तीन राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) के भी नाम हैं. इनमें ओम प्रकाश यादव, कमलेश ढांडा और संदीप सिंह शामिल हैं।

अनिल विज को कैबिनेट पद क्यों नहीं दिया गया?

इस बार बीजेपी हाईकमान ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और अपने तुनकमिजाजी के लिए मशहूर अनिल विज पर कड़ा फैसला लिया है. अनिल विज राज्य में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से गठबंधन टूटने और मनोहर लाल के सीएम पद से इस्तीफे के बाद नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नया नेता चुने जाने से नाराज थे. केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में वह बैठक बीच में ही छोड़कर चले गये.


मनोहर लाल सरकार में अनिल विज के पास गृह और स्वास्थ्य जैसे बड़े मंत्रालय थे, लेकिन तब उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचों पर सरकार के फैसलों का विरोध किया था। नूंह दंगे में उन्होंने सीआईडी इनपुट नहीं मिलने की बात कही जबकि सीआईडी सीधे सीएम को रिपोर्ट कर रही थी. स्वास्थ्य विभाग में मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद एक माह तक फाइलें नहीं देखी गयीं. ऐसी घटनाओं से सरकार की किरकिरी हुई।

-कमलेश ढांडा

मनोहर सरकार में राज्य मंत्री के तौर पर महिला एवं बाल विकास विभाग संभालने वाली कमलेश ढांडा का भी रिपोर्ट कार्ड अच्छा नहीं रहा. उन्हें कैबिनेट से हटाने की चर्चा भी काफी समय से चल रही थी. राज्य सचिवालय में भी उनकी मौजूदगी ज्यादा नहीं थी. ऐसे में उन्हें हटाकर सीमा त्रिखा को महिला कोटे से कैबिनेट में जगह दी गई है.

-ओमप्रकाश यादव

ओम प्रकाश यादव मनोहर लाल सरकार में राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थे। उन्हें हटाने की चर्चा दो साल से चल रही थी. इसकी वजह यह थी कि वह सिर्फ अपने क्षेत्र यानी नारनौल विधानसभा सीट तक ही सीमित थे. इससे सरकार को नुकसान उठाना पड़ा. उनकी निष्क्रियता के कारण विपक्ष लगातार उन्हें घेरता रहा.

संदीप सिंह
मनोहर लाल की कैबिनेट में संदीप सिंह के पास खेल विभाग था. साल 2023 में झज्जर की एक जूनियर महिला कोच ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इससे सरकार को बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी. उस घटना के बाद तत्कालीन सीएम मनोहर लाल ने संदीप सिंह से खेल विभाग तो वापस ले लिया, लेकिन उन्हें अपने मंत्रिमंडल से नहीं हटाया. इसे लेकर विपक्षी दलों ने बार-बार सरकार को घेरा. अब चूंकि लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी होने हैं तो नायब सैनी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में लेने का जोखिम नहीं उठाया.