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मानसूनी सीजन में तेजी से बढ़ेगी सर्पदंश की घटनाएं, इन तरीकों से बचा सकते हैं मरीज की जिंदगी, भूलकर भी न करें ये गलती

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मानसूनी सीजन में तेजी से बढ़ेगी सर्पदंश की घटनाएं

मानसून सीजन में जलभराव होना लाजमी है और ऐसी स्थिति में सांप अपने बिलों से निकलकर सुरक्षित ठिकाने ढूंढ़ने लगते हैं। इस वजह से सांप काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं।

ऐसे में लोग घबरा जाते हैं लेकिन अधिकतर को यह पता नहीं होता कि भारत में मिलने वाले 70 प्रतिशत सांप जहरीले नहीं होते हैं।

जरूरी है कि झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ें और पीड़ित को तत्काल अस्पताल पहुंचाएं। जहरीले सांप ने भी काटा होगा तो अस्पताल में एंटी स्नैक वेनम इंजेक्शन लगाकर उसकी जान आसानी से बचाई जा सकती है।

घबराने से हार्ट पर सीधा असर

गैस्ट्रोइंटोलाजी विभाग के एक डॉक्टर ने बताया कि सांप के काटते ही व्यक्ति बहुत ज्यादा घबरा जाता है। वह तेज-तेज सांस लेने लगता है, जिससे मांसपेशियों में कैल्शियम की कमी से पैरालिसिस हो जाता है।

वहीं, घबराहट का सीधा असर हार्ट (हृदय) पर पड़ता है। ऐसे में अधिकतर मौतें सांप काटने से नहीं बल्कि घबराहट से हो जाती है। 

गलती से भी न करें ये काम

अगर किसी व्यक्ति को सांप काट लेता है तो गलती से भी प्रभावित अंग पर कसकर रस्सी न बांधें। सांप काटने की जगह पर चीरा लगाकर खून निकालने का प्रयास भी न करें।

किसी से खून चूसकर बाहर निकालने का प्रयास न ही करें। इससे बैक्टीरियल इंफेक्शन (संक्रमण) के साथ टिटनेस का खतरा बढ़ जाता है। 

बांधने से ये खतरा

सांप कांटने पर अगर प्रभावित अंग को कसकर बांध दिया जाता है तो उस अंग में खून की आपूर्ति बाधित हो जाती है। खून की नसों में ब्लाकेज होने से नेक्रोसिस (परिगलन) का खतरा बढ़ जाता है।

शरीर के किसी भाग में कोशिकाओं अथवा ऊतकों की मृत्यु होने को नेक्रोसिस कहते हैं। ऐसी स्थिति में प्रभावित अंग को काटने की नौबत आ जाती है।

सांप काटने पर इस बात से करें परहेज

अगर हाथ-पैर या किसी दूसरे अंग पर सांप काट लेता है तो ऐसे में पीड़ित व्यक्ति के प्रभावित अंग को भूल कर भी हिलाने-डुलाने कतई न दें। ऐसा करने से सांप का जहर शरीर में तेजी से फैलने लगता है।

इसलिए पीड़ित को न ही चलाएं और न ही उसे अधिक हिलने-डुलने और बोलने दें। उसे तत्काल टू व्हीलर या फोर व्हीलर वाहन से तत्काल अस्पताल पहुंचाएं।

कोबरा व करैत ज्यादा खतरनाक

डाक्टरों का कहना है कि भारत में ज़हरीले सांपों में कोबरा, करैत और वाइपर है। अगर किसी को जहरीला सांप काटता है तो 90 प्रतिशत संभावना कोबरा और करैत सांप के काटने की ही रहती है।

ये काफी जहरीले होते हैं और बड़ों की अपेक्षा बच्चों पर उनका जहर तेजी से असर करता है। करैत और कोबरा का जहर न्यूरो टाक्सिक होता है, जिससे तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं होती हैं।

सांप के काटने पर आंखों की पलकें गिरने लगती हैं। पीड़ित को दो-दो व्यक्ति दिखाई पड़ने लगते हैं और आवाज भी लड़खड़ाने लगती है। 

व्यक्ति चिल्लाता है लेकिन उसकी आवाज बहुत ही धीमी सुनाई पड़ती है। इसके बाद श्वसन मार्ग की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है।

धीरे-धीरे हाथ-पैर काम करना बंद कर देते हैं और अंत में सांप काटे हुए व्यक्ति की मौत हो जाती है। 

सांप काटने के अंग पर निर्भरता

अगर सांप पैर के अंगूठे या पंजे पर काटता है तो जहर धीरे-धीरे फैलता है। सीने या सिर पर काटता है तो जहर तेजी से असर करेगा। बड़ों की अपेक्षा छोटे बच्चों पर जहर तेजी से फैलता है।

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