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Safalta Ki Kunji: बस कर लीजिए ये दो छोटे काम, जरूर मिलेगी सफलता, चाणक्य ने बताए हैं ये राज

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बस कर लीजिए ये दो छोटे काम, जरूर मिलेगी सफलता, चाणक्य ने बताए हैं ये राज

Safalta Ki Kunji, Motivational Thoughts In Hindi: जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करने और सफल बनने के लिए कई तरह की बातें बताई जाती है. इसके लिए सबसे पहले व्यक्ति को समय का पाबंद होना पड़ता है और जीतोड़ मेहनत करनी पड़ती है. कुछ लोग इन गुणों को अपनाकर अपनी मेहनत से सफलता को प्राप्त कर लेते हैं, तो वहीं कुछ लोग सफलता की रेस में पीछे रह जाते हैं और अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाते.

सफलता की कुंजी और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चाणक्य नीति को महत्वपूर्ण माना गया है. आचार्य चाणक्य की बातों को यदि मनुष्य अपने गुणों में विकसित कर ले तो उसका जीवन सफल हो जाता है. सफलता को प्राप्त करने के लिए चाणक्य नीति में बताएं इन दो गुणों को हर व्यक्ति को जरूर अपनाना चाहिए.

ये गुण कहलाते हैं सफलता की कुंजी

व्यक्ति के श्रेष्ठ गुणों में एक है विनम्रता- जब भी व्यक्ति के गुणों और आचरण की बात होती है तो, सबसे पहले उसके विनम्रता का ही जिक्र किया जाता है. विनम्र व्यक्ति हर किसी को पसंद आते हैं.  व्यक्ति का व्यवहार, आचरण और बोली में जितनी विनम्रता होगी, वह अन्य व्यक्ति को भी सहज और सरल लगेगा. विनम्र आचरण वाले व्यक्ति को देख मन को शांति मिलती है. लेकिन सवाल यह है कि व्यवहार में विनम्रता कैसे लाएं. दरअसल ज्ञान, संस्कार और सत्य बोलना ही ‘विनम्रता’ कहलाती है. विनम्र व्यक्ति अपने स्वभाव से शत्रु को भी मित्र बना सकता है. इसलिए व्यक्ति की विनम्रता को सफलता की कुंजी कहा गया है और ऐसे लोग सफलता को शीघ्र प्राप्त करते हैं. साथ ही ऐसे लोगों पर मां लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है.

वाणी में मधुरता’ है सफलता की कुंजी- चाणक्य नीति कहती है कि, जिसकी वाणी में मधुरता होती है, ऐसे व्यक्ति को सभी पसंद करते हैं. इसे लेकर विद्वानों का भी मत है कि वाणी में यदि मधुरता नहीं है तो भाषा का सौंदर्य निखरकर नहीं आता. वहीं जिन लोगों की वाणी कर्कश और कड़वाहट भरी होती है उनसे अमूमन लोग दूरी बनाते हैं. इसलिए सफलता के लिए जीवन में वाणी का प्रमुख योगदान होता है.

कहा जाता है कि वाणी ऐसी होनी चाहिए जो लोगों के दिल में प्रवेश करे. वाणी की मधुरता को लेकर संत कबीरदास भी अपने दोहे में कहते हैं- ऐसी वाणी बोलिएमन का आपा खोये। औरन को शीतल करेआपहुं शीतल होए।।

इसका आशय है कि व्यक्ति को ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जो सुनने वाले के मन को अच्छी लगे. दूसरे को और साथ ही स्वयं के मन को भी शीतल लगे. इसलिए जिसने इस गुण को अपने भीतर विकसित कर लिया, उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता.

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