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चाणक्य नीति: जिस जगह पर न हों ये पांच चीजें, व्यक्ति को वहां एक सेकेंड भी नहीं टिकना चाहिए

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को हर विषय का गहनता से ज्ञान था। यही कारण है कि उन्हें महापुरुष कहा जाता है। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में व्यक्ति के जीवन से जुड़े हर पहलु का विस्तार से वर्णन किया है। चाणक्य ने एक श्लोक में बताया है कि व्यक्ति को उस स्थान पर नहीं रुकना चाहिए, वहां पर पांच चीजें न हों। इन पांच चीजों का वर्णन आचार्य ने नीति शास्त्र में किया है। जानें आज की चाणक्य नीति-

धनिक: श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पंचम:। 
पंच यत्र न विद्यन्ते तत्र दिवसं न वसेत्।।

चाणक्य कहते हैं कि जहां वेद को जानने वाला ब्राह्मण, धनिक, राजा, नदी और वैद्य ये पांच चीजें न हों, उस स्थान पर व्यक्ति को एक दिन भी नहीं टिकना चाहिए। धनवान लोगों से व्यापार की वृद्धि होती है। वेद को जानने वाले ब्राह्मण धर्म की रक्षा करते हैं। राजा न्याय और शासन-व्यवस्था को स्थिर रखता है। जल और सिंचाई के लिए नदी जरूरी है जबकि रोगों से छुटकारा पाने के लिए वैद्य की जरूरत होती है। चाणक्य कहते हैं कि जिस स्थान पर ये पांच चीजें न हों, उस स्थान को त्याग देना ही उत्तम होता है।

लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्ष्ण्यिं त्यागशीलता। 
पंच यत्र न विद्यंते न कुर्यात्त्र संगतिम्।।

चाणक्य एक श्लोक में आगे कहते हैं कि जहां लोकयात्रा यानी जीवन को चलाने  के लिए अजीविका का कोई साधन न हो, व्यापार आदि विकसित न हो, किसी प्रकार के दंड के मिलने का भय न हो, लोकलाज न हो, व्यक्तियों में शिष्टता, उदारता न हो यानी दान देने की प्रवृत्ति न हो। जहां ये पांच चीजें न हों, वहां व्यक्ति को निवास नहीं करना चाहिए।

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