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अचानक ऐसा क्या हुआ कि धड़ाधड़ छंटनी करने लगीं कंपनियां… मंदी की आहट या कुछ और?

यूनिकॉर्न बिजनेस मॉडल और स्टार्टटअप कंपनियां जिस तरह असफल होने का भय महसूस कर रही हैं, इस बीच उनकी मजबूरी है कि वे अपने यहां कॉस्ट कटिंग और छंटनी करें.

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अचानक ऐसा क्या हुआ कि धड़ाधड़ छंटनी करने लगीं कंपनियां… मंदी की आहट या कुछ और?

कोविड के दौर में ई-कॉमर्स कंपनियों की बूम थी. जब लॉकडाउन रहा, तब दुकानें बंद थीं और ई-कॉमर्स कंपनियां ही लोगों का सहारा भी बनीं. और फिर इन कंपनियों ने खूब कमाई भी की. ग्रोफर्स-ब्लिंकिट जैसी कई नई कंपनियां भी आईं. लेकिन इन दिनों ऐसी कंपनियों में छंटनी का दौर चल रहा है. ऐसी ही एक कंपनी में हफ्ते भर पहले तक काम कर रहे युवक राजीव जायसवाल का कहना है कि उन्हें अचानक से कह दिया गया कि कंपनी को अब उनकी जरूरत नहीं है. वे एचआर से बात कर लें और अपना हिसाब कर लें.

सैकड़ों युवाओं के साथ यही हो रहा है. कंपनियों की ओर से मेल पर या मौखिक रूप से कहा गया कि वे कहीं और अपनी संभावना तलाश लें और उन्हें एक मानक राशि देकर विदा कर दिया गया. यह राशि उनके दो या तीन माह के वेतन के बराबर होती है. भारत में एक-दो नहीं, बल्कि 40 से ज्यादा कंपनियां अपने कर्मचारियों की छंटनी कर रही है. डॉयचे वेले ने भी अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है. ये सारी स्टार्टअप्स कंपनियां हैं.

ऐसा नहीं है कि केवल भारतीय कंपनियां ऐसा कर रही हैं. अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी लगातार छंटनी कर रही हैं. एप्पल, मेटा और एमेजॉन ने तो नई भर्तियां भी फिलहाल स्थगित कर रखी है.

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कोविड और बाजार की अस्थिरता

पॉलिसी रिसर्चर और स्टार्टअप एक्सपर्ट अविनाश चंद्र बताते हैं कि महामारी काल में ई-कॉमर्स कंपनियां अपने उरुज पर थीं. कई सारी नई कंपनियां भी उस दौरान आईं. बूम और मुनाफा देखते हुए कई सारे निवेशक आकर्षित हुए. लेकिन बाजार की अस्थिरता के बीच कोविड का दौर खत्म होते ही कंपनियों के आगे संकट खड़ा होने लगा. खासकर टेक कंपनियां लगातार छंटनी करने लगीं. हजारों युवा झटके में सड़क पर आ गए. वे कहते हैं कि दूसरी नौकरी पाने वालों का प्रतिशत काफी कम है. नौकरी से निकाले गए 20 फीसदी लोग भी दूसरी नौकरी हासिल नहीं कर पाए हैं.

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यूनिकॉर्न कंपनियों ने भी की छंटनी

टेक कंपनियां खूब पैसा खर्च करने को लेकर जानी जाती हैं, लेकिन अब यही कंपनियां भारी कटौती कर रही हैं. मार्केटिंग कंसल्टेंट UpCity के हाल के एक सर्वे के मुताबिक, 15,700 से ज्यादा कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. एडुटेक स्टार्टअप कंपनी BYJU’S अपने 2500 कर्मियों को नौकरी से निकाल चुकी है. एक ओर एडुटेक कंपनी Unacademy अपने 1000 कर्मियों की, जबकि Blinkit अपने 1600 कर्मियों की छंटनी कर चुकी है. डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 44 स्टार्टअप कंपनियां अच्छी-खासी संख्या में लोगों को नौकरी से निकाल चुकी हैं.

छंटनी की वजहें क्या हैं?

डॉ चंद्रा कहते हैं, “ग्लोबल स्तर पर कंपनियों में छंटनी अगस्त में शुरू हुई थी. तभी लगने लगा था कि भारत में भी ऐसा दौर आएगा. हुआ भी यही. बढ़ती महंगाई के बीच ग्लोबल कंपनियों ने भारत में अपना विज्ञापन खर्च कम करना शुरू किया. इस कॉस्ट कटिंग में छंटनी भी जुड़ गई.” ट्विटर की स्थिति तो सबने देखी. फेसबुक/मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और अन्य कंपनियों में भी लोगों की नौकरियां गई हैं.

पिछले दो-तीन महीनों में हुई छंटनी टेक कंपनियों के इतिहास की बड़ी छंटनी कही जा रही है. इसके पीछे की वजह एक्सपर्ट कोविड के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध बता रहे हैं. एक्सपर्ट ऐसी आशंका जता रहे हैं कि आईटी कंपनियों का बुरा समय शुरू होने वाला है. भारतीय बाजार पर भी इसका बड़ा असर पड़ सकता है.

यूनिकॉर्न बिजनेस मॉडल और स्टार्टटअप कंपनियां जिस तरह असफल होने का भय महसूस कर रही हैं, इस बीच उनकी मजबूरी है कि वे अपने यहां कॉस्ट कटिंग और छंटनी करें. ये कंपनियां एक बड़े दबाव से गुजर रही हैं.

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जिस तरह महामारी के दौरान इन कंपनियों में बूम आया, लगातार भर्तियां हुईं और कर्मियों की संख्या खूब बढ़ी. उम्मीद थी कि ह्यूमन रिसोर्स बढ़ने से कारोबार और मुनाफा भी बढ़ेगा पर नतीजा उम्मीद से उलट निकला. उम्मीद की जा रही है कि चीजें ठीक होने में छह महीने लग सकते हैं.

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