Jobs Haryana

UP: मेडिकल कॉलेजों में कैसे हो रही पढ़ाई? बच्चे भरे हैं लेकिन पढ़ाने वाले ही नहीं

UP Medical College Vacancy 2022: उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी के करीब 30% पद खाली पड़े हैं. ये आंकड़े यूपी चिकित्सा शिक्षा विभाग के हैं.

 | 
मेडिकल कॉलेजों में कैसे हो रही पढ़ाई? बच्चे भरे हैं लेकिन पढ़ाने वाले ही नहीं

उत्तर प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों का हाल क्या है? यहां मेडिकल की पढ़ाई कैसे हो रही है? Uttar Pradesh मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के आंकड़े खुद इस सवालों के जवाब दे रहे हैं. राज्य के Govt Medical Colleges में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर के पद खाली पड़े हैं. यूपी सरकार के लेटेस्ट डाटा के अनुसार, राज्य के 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल 2,129 टीचिंग पोस्ट हैं. लेकिन इनमें से 640 यानी करीब 30 फीसदी पद खाली हैं. इनपर न रेगुलर, न कॉन्ट्रैक्ट किसी भी तरह से शिक्षक की भर्ती नहीं की गई है

UP: मेडिकल कॉलेजों में कैसे हो रही पढ़ाई? बच्चे भरे हैं लेकिन पढ़ाने वाले ही नहीं

सबसे ज्यादा पद गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में खाली हैं. यहां 257 पद हैं जिनमें से 117 खाली हैं. वहीं, बीते वर्षों में कुछ नए मेडिकल कॉलेज शुरू हुए हैं और कई कॉलेजों में मेडिकल की सीटें बढ़ाई गई हैं. जाहिर है कि इन सीटों पर NEET परीक्षा के जरिए एडमिशन भी हुए हैं. अब छात्रों की संख्या तो बढ़ गई है, लेकिन इन्हें पढ़ाए कौन?

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि फिलहाल UP के मेडिकल कॉलेजों में 936 रेगुलर फैकल्टी और 553 पदों पर Contractual Faculty काम कर रहे हैं. लेकिन इन्हें मिलाकर 1489 पद ही भरते हैं. बाकी के 640 पद जो खाली हैं, उनकी कमी कैसे पूरी होगी? जानिए इसपर उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग का क्या कहना है.


‘कॉन्ट्रैक्ट वाले अक्सर नौकरी छोड़ देते हैं’

HT की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आलोक कुमार ने कहा, ‘फैकल्टी के पद भरना एक अनवरत प्रक्रिया है. ये चलती रहती है. कई बार कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी पाने वाले कर्मचारी नोटिस देकर जॉब छोड़ देते हैं. एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज शिफ्ट हो जाते हैं. जैसे- अगर बांदा में काम कर रहे फैकल्टी को उसके होमटाउन बदायूं में नौकरी मिलती है, तो वह वहां चला जाएगा. ऐसे में बांदा में जगह खाली हो गई, लेकिन वो टीचर अब भी सरकारी पे-रोल पर है.’

उन्होंने आगे बताया, ‘हमने यूजी और पीजी मेडिकल की सीटें बढ़ाई हैं. इस पहल का असर अगले कुछ सालों में दिखेगा. फैलक्टी के पद भी बढ़ेंगे. राज्य के ज्यादा कॉलेज जरूरी संख्या में फैकल्टी के साथ चलेंगे.’

वहीं, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष डॉ पीके गुप्ता ने हिन्दुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा, ‘किसी मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं. इनकी कमी स्टूडेंट्स के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है.’

Latest News

Featured

You May Like