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Haryana News: हरियाणा के इस गांव में नहीं हुआ झंडारोहण, जानें यहां के लोग क्यों खुद को मान रहे गुलाम

आजाद देश में अब भी बहुत सारी एसी समस्याएं हैं, जिसे लेकर लोगों में घोर नाराजगी है। विभिन्न मुद्दों को लेकर आंदोलनरत भिवानी जिले के रोहनात गांव के लोगों ने गणतंत्र दिवस पर झंडारोहण नहीं करने का फैसला कर लिया।
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Haryana News: हरियाणा के इस गांव में नहीं हुआ झंडारोहण, जानें यहां के लोग क्यों खुद को मान रहे गुलाम

आजाद देश में अब भी बहुत सारी एसी समस्याएं हैं, जिसे लेकर लोगों में घोर नाराजगी है। विभिन्न मुद्दों को लेकर आंदोलनरत भिवानी जिले के रोहनात गांव के लोगों ने गणतंत्र दिवस पर झंडारोहण नहीं करने का फैसला कर लिया। यहां के ग्रामीण पिछले करीब साढ़े पांच माह से शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के गांव रोहनात को अपनी खोई जमीन व शहीद गांव का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं। मगर अब तक उनकी मांगें नहीं मानी गई हैं। इससे लोग गुस्से में हैं। 

आपको बता दें कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में गांव रोहनात को अंग्रेजी हुकूमत ने तोपों से उड़ाकर तहस नहस कर दिया था। उस वक्त यहां के लोगों को बंदी बनाकर हांसी की सड़क पर रोड रोलर के नीचे लाकर कुचल दिया गया था। हांसी में आज भी उस जगह को लाल सड़क के नाम से जाना जाता है।

शहीदों के गांव का दर्जा दिलाने की मांग

आजादी के बाद से गांव रोहनात में कभी राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया था। मुख्यमंत्री ने यहां ग्रामीणों के साथ 23 मार्च 2018 को शहीदी दिवस पर राष्ट्रीय ध्वजारोहण किया था। उस दौरान ग्रामीणों ने सीएम को बताया था कि आजादी के बाद उन्हें आज तक शहीदों के गांव का दर्जा नहीं मिला है न ही पंजाब सरकार में बीड फार्म पर अलाट 57 प्लाटों पर कब्जा मिला है। जबकि स्वतंत्रता संग्राम में उनके बुजुर्गों ने सब कुछ खोकर अपना बलिदान दिया था। उन्हें भी शहीद का दर्जा नहीं मिला है। रोहनात के लोगों ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेते हुए बहादुर शाह जफर के आदेश पर 29 मई 1857 के दिन अंग्रेजी हुकूमत की जेल तोड़कर कैदियों को आजाद करवाया था। ग्रामीण महिलाएं अपनी लाज बचाने के लिए बच्चों सहित गांव के ऐतिहासिक कुएं में कूद गई थी।

10 अगस्त से जारी है धरना

गांव रोहनात में धरना कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि 10 अगस्त 2022 से अनिश्चितकालीन धरना चल रहा है। ग्रामीण संतलाल की धरना स्थल पर ही शहादत हो गई थी। जिसमें सरकार ने मृतक के परिजनों को 12 लाख आर्थिक मदद और एक सरकारी नौकरी की लिखित में हां भरी थी। सिर्फ छह लाख मृतक के आश्रितों को मिले हैं, छह लाख की मदद और नौकरी अभी तक नहीं दी है। मुख्यमंत्री ने जिस जगह राष्ट्रीय ध्वजारोहण किया था वह जगह भी सुलतानपुर पट्टी में थी, इसलिए आज भी रोहनात गुलाम महसूस कर रहा है। ग्रामीणों का फैसला है कि गणतंत्र दिवस पर भी राष्ट्रीय ध्वजारोहण नहीं होगा।
 

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