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Gold Rate Today: सोना खरीदना हुआ सस्ता, जानें कहां पहुंच गई 10 ग्राम की कीमत

सोना 139 रुपये की गिरावट के साथ 50,326 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया है. पिछले कारोबारी सत्र में पीली धातु 50,465 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर बंद हुई थी. 

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Gold Rate Today: सोना खरीदना हुआ सस्ता, जानें कहां पहुंच गई 10 ग्राम की कीमत

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में नरमी के बीच दिल्ली सर्राफा बाजार में शुक्रवार को सोना 139 रुपये की गिरावट के साथ 50,326 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया है. HDFC सिक्योरिटीज ने यह जानकारी दी. पिछले कारोबारी सत्र में पीली धातु 50,465 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर बंद हुई थी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना गिरावट के साथ 1,665 डॉलर प्रति औंस पर रहा है. जबकि, चांदी 19.50 डॉलर प्रति औंस पर स्थिर रही थी. 

HDFC सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) तपन पटेल ने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से नीतिगत दर में वृद्धि करने से मंदी को लेकर चिंता गहराने के बावजूद सोना नीचे आ गया है. मंदी की स्थिति में आम तौर पर सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है. 

फ्यूचर्स ट्रेड में कीमतें 

फ्यूचर्स ट्रेड में सोने की कीमतें शुक्रवार को 140 रुपये गिरकर 49,860 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गईं हैं. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर, अक्टूबर डिलीवरी के लिए कॉन्ट्रैक्ट्स 140 रुपये या 0.28 फीसदी की गिरावट के साथ 49,860 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहे थे. यह 6,315 लोट्स के बिजनेस टर्नओवर के लिए है. 

आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच तनाव के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती और ज्यादा मुद्रास्फीति की वजह से सोने की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि जानकारों के मुताबिक, सोने की कीमतें इस साल 55,000 रुपये के आंकड़े को छू सकती हैं. इसके साथ सोना अगले साल 62,000 रुपये पर पहुंच सकता है. 

बता दें कि वर्ल्ड गोल्ड काउइंसिल का मानना है कि वर्तमान में ग्लोबल इकोनॉमी की जो हालत है तो उसमें बुलियन की मांग बनी रहने की पूरी संभावना है. 

मांग की वजह घरेलू बाजार में कीमतों में एक सीमा से ज्यादा गिरावट का अनुमान नहीं है. वहीं विदेशी संकेतों में बदलाव दिखे तो आने वाले समय में सोने में तेज बढ़त भी देखने को मिल सकती है. यूएस डॉलर और ट्रेजरी यील्ड के बढ़ने से सोने को लेकर निवेश मांग घटी है जिससे कीमतें नीचे आई हैं. दरअसल संकेत हैं कि फेडरल रिजर्व दरों में बढ़ोतरी को लेकर आक्रामक रुख जारी रखेगा. हाल की बढ़त बाद भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था के ताजा आंकड़ों में कमजोरी के संकेत नहीं है इससे फेडरल रिजर्व अपना फोकस महंगाई को नियंत्रित करने में लगा सकता है. 

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