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'अनीता भाभी' विदिशा श्रीवास्तव ने खोल डाले पति के सारे राज, ऐसी है एक्ट्रेस की पर्सनल लाइफ

मैं बनारस से हूं, रामलीला वहां भी होती है लेकिन इतने बड़े स्तर पर आयोजन नहीं होता। रामलीला देखने जो दर्शक आए थे
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कॉमिडी शो 'भाबी जी घर पर हैं' में अनीता भाभी के रूप में सौम्या टंडन यानी गोरी मैम को बड़ी पहचान मिली थी। उनके जाने के बाद नेहा पेंडसे ने करीब एक साल इस रोल को निभाया। लेकिन इन दिनों ऐक्ट्रेस विदिशा श्रीवास्तव अनीता भाभी के किरदार को निभा रही हैं। शो में उनके काम को काफी पसंद किया गया है।

हाल ही दिल्ली में रामलीला देखने आईं विदिशा श्रीवास्तव ने समाचार पत्र से खास बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने बताया कि निजी लाइफ से लेकर सेट पर क्या क्या होता है, जैसी बातों को साझा किया।

हाल ही में आपने दिल्ली की रामलीला में शिरकत की, रामलीला देखने के बाद आप क्या कहना चाहेंगी?
मैं दिल्ली की लव कुश रामलीला में पहली बार गई थी और ये मेरे लिए बेहद खास अनुभव था। मैंने बचपन में तो कई बार रामलीला देखी है। पापा हमें लेकर जाते थे, रात में झांकियां होती हैं, तो वहां कुछ अलग तरह से चीजें हाेती हैं। लेकिन बड़े होने के बाद रामलीला देखने का मौका नहीं मिला और मैंने दिल्ली आकर पहली बार इतने बड़े स्केल पर किसी रामलीला को देखा है।

मैं बनारस से हूं, रामलीला वहां भी होती है लेकिन इतने बड़े स्तर पर आयोजन नहीं होता। रामलीला देखने जो दर्शक आए थे, वे भी काफी सपोर्टिव थे और रामलीला देखने को लेकर उनका क्रेज देखने लायक था। यह मेरे लिए लाइफ टाइम एक्सपीरियंस जैसा था। मैंने वहां चांदनी चौक की टिक्की चाट, पापड़ी चाट, छोले-कुल्चे और जलेबी भी खाईं।

भाभी जी घर पर हैं मैं अनीता भाभी के रोल में अब तक आपका अनुभव कैसा रहा है?
मेरा अब तक एक्सपीरियंस काफी शानदार रहा है। पहले तो मुझे अनीता भाभी के रूप में इतना बड़ा किरदार करने का मौका मिला है, जो शो के रिलीज होने से अब तक बहुत फेमस रही हैं। ऐसे में ये अपने आप में एक बहुत बड़ी अचीवमेंट है। मेरे जो को-आर्टिस्ट हैं, उन्होंने मुझे काफी कंफर्ट महसूस कराया। उन्होंने कभी ये फील नहीं होने दिया कि मैं इस शो में नई-नई आई हूं। इस वजह से मुझे बहुत जल्दी सीखने को मिला और मैं कम समय में ही किरदार में आ गई। सबसे बड़ी बात ऑडियंस ने मुझे दिल से अपनाया, जो मेरे लिए सबसे जरूरी था।

जब अनीता भाभी के किरदार में ऐक्ट्रेस को बदलने की बात सामने आई, तब कई लोगों ने सवाल खड़े किए। सोशल मीडिया पर तमाम बातें हुईं। इसका आप पर कुछ फर्क पड़ा?

मेरे आने से पहले अनीता भाभी के रोल को कोई और निभा रहा था और मैंने सुना था कि उनको लेकर कुछ लोगों ने ऐसी बातें कहीं। लेकिन जब मैं आई तो मुझे लगता है कि 95 प्रतिशत लोगों ने मुझे इस रोल के लिए अपना लिया। उनको सबसे पहले वाली अनीता भाभी और मुझमें ज्यादा बदलाव नजर नहीं आया। जिन 5 प्रतिशत ने मुझे शुरू में नहीं अपनाया था, उन्होंने मुझे शो के 7 महीने करने के बाद अपना लिया है। जब इस शो का ऑफर मिला तो मुझे लगा कि अनीता भाभी का कैरेक्टर मुझे बहुत सूट करता है। मैं रियल लाइफ में ऐसी नहीं हूं लेकिन मुझे लगता था कि मैं इस रोल को अच्छे से कर सकती हूं। पहले ऑडिशन के बाद ही मुझे इस रोल को करने के लिए कॉल आ गया था। आमतौर पर एक शो में सिलेक्शन का लंबा प्रोसेस होता है, जो मुझे इस शो में नहीं फेस करना पड़ा।

 

शो की शूटिंग के बाद का समय सेट पर कैसे बीतता है, इस बारे में कुछ बताएं?

सच कहूं, तो शूटिंग के बाद का समय काफी मजेदार होता है। आसिफ जी का कमरा ताे पब्लिक रूम की तरह है। काम खत्म होते ही सब उनके रूम में बैठ जाते हैं। उसके बाद हम सब खूब गप्पे मारते हैं। ये एक कॉमिडी शो है तो ये पता ही नहीं चलता कि हम कोई शो कर रहे हैं। फटाफट सीन होते जाते हैं। सब लोग इतने सालों से काम कर रहे हैं, तो वे अपने किरदारों में पूरी तरह से रम चुके हैं। आप ऑफ सेट की बात करें या ऑन सेट की, ऐसा लगता है कि उन्होंने अपना घर ही यहीं बसा लिया है। बाकी जो सालों से काम कर रहे हैं, उनके आप कमरों को भी देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि एक ही कमरे में उनकी पूरी गृहस्थी बसी हुई है। हर रूम में कुछ ना कुछ खाने को मिल जाता है।

वैसे आप मैरिड हैं, लेकिन पूरा देश आपकाे इस शो की वजह से भाभी जी बुलाता है, तो शो की वजह से भाभी जी सुनना कैसा लगता है?

मुझे अगर शो की वजह से कोई भाभी बुलाता है तो मेरे लिए यह बहुत गर्व की बात होती है। ये मेरे लिए किसी अचीवमेंट से कम नहीं है कि लोग मुझे मेरे किरदार की वजह से जानते हैं। आपकाे एक किस्सा बताती हूं। जब मैं दिल्ली आ रही थी, तो किसी बुजुर्ग अंकल ने एयरपोर्ट पर मुझे पीछे से आवाज दी...भाभी जी...! और मैंने तुरंत पलट कर देखा। तो ये अच्छी बात है कि मुझे लोग भाभी जी कहकर बुला रहे हैं और मैं उसपर रिएक्ट कर रही हूं।

आप अक्सर सेट पर रहती हैं और आपके पति साउथ में जॉब करते हैं, तो अपने रिश्ते में आप किसी तरह सब मैनेज करती हैं?

मेरे पति बेंगलुरु में एक कोल माइनिंग कंपनी में सीईओ और जनरल मैनेजर के तौर पर काम करते हैं। वो हमेशा मेरे साथ नहीं रहते हैं, लेकिन हर महीने मिलने आते हैं। अभी हम दोनों अपने-अपने करियर पर फोकस कर रहे हैं। वैसे वह कोलकाता के रहने वाले हैं। मुझे लगता है कि अगर आपको कोई रिश्ता निभाना हो तो आप एक-दूसरे के लिए वक्त निकाल ही लेते हैं, ऐसे में दूरियां मैटर नहीं करती हैं। जब वो मिलने आते हैं तो मैं भी कोशिश करती हूं कि उनको अपना ज्यादा से ज्यादा समय दे पाऊं। कई बार मैं उन्हें सेट पर भी लेकर आ जाती हूं, क्योंकि लंबे समय तक मेरा सूट होता है।

तो शो में अनीता भाभी जैसी हैं, विदिशा आप या आपके रियल पति भी कुछ उस किरदार से टिप्स लेते हैं?
(हंसते हुए) अरे नहीं...। मैं शो में जो किरदार निभा रही हूं, वैसा कुछ अपने पति के साथ या रियल लाइफ में बिलकुल भी नहीं करती हूं। मैं अनीता भाभी की तरह अपने पति पर कभी ऑर्डर नहीं चलाती हूं। हालांकि कभी-कभी अपने पति को बीवी का रुतबा दिखा देती हूं, जब मुझे लगता है कि वो मुझे अनीता भाभी की तरह ट्रीट कर रहे हैं। तो मैं बोल देती हूं कि मुझे अनीता भाभी मत समझो। रही बात मेरे पति की तो वो भी विभूति नारायण मिश्रा जैसे बिलकुल भी नहीं हैं। वो बहुत सीधे-सादे हैं। मगर वो एक मामले में विभूति जैसे हैं, मेरे पति विभूति जी की तरह खाना अच्छा बनाते हैं। हालांकि वो किसी भाभी को लाइन नहीं मारते हैं।

 

आपकी एजुकेशन अलग विषय की रही है, लेकिन फिर आपने ऐक्टिंग को चुना, ये सब पहले से ही सोच रखा था?
मैंने बायोटेक में बीएससी किया है। मैं ग्रेजुएशन करते-करते ऐक्टिंग में आ गई थी। मैं श्रीवास्तव कायस्थ परिवार से हूं, जिसमें पढ़ाई-लिखाई को काफी महत्व दिया जाता है। मेरे परिवार में सब पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टरेट किए हुए थे और मैं सिर्फ ग्रेजुएट थी। जब मुझसे कोई पूछता था कि मैंने पढ़ाई मैं क्या किया है तो मुझे बहुत अजीब लगता था कि मैं सिर्फ ग्रेजुएट हूं। (हंसते हुए) ऐसे में मैं खुद को अनपढ़ सा फील करती थी। इस वजह से मैंने एमबीए भी किया। हालांकि मेरे परिवार ने कभी किसी चीज के लिए प्रेशर नहीं बनाया। मेरा मानना है कि पढ़ाई किसी भी क्षेत्र में अहम रोल निभाती है।


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दिल्ली में आप आई हैं, ऐसे में दिल्ली की कौन सी चीज आपको पसंद आती है?
मुझे दिल्ली का खाना बहुत पसंद है। मैं दिल्ली के चांदनी चौक में परांठे वाली गली गई थी, वहां का परांठा लाजवाब है। मैंने परांठे की इतनी वैरायटी नहीं देखी है। आपका पेट भर जाता है लेकिन मन नहीं भरता। उसके अलावा मुझे वहां की लस्सी भी काफी पसंद आई। मुझे लगता है कि चाट वगैरह का टेस्ट हमारे बनारस जैसा ही है। इसलिए मुझे घर जैसा महसूस हो रहा था। मैं दिल्ली तीन-चार बार आई हूं, तब मैंने काफी शॉपिंग की थी।

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