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IAS Officer Maniram Sharma: हरियाणा के IAS अधिकारी की कहानी, कभी BDO ने नहीं रखा था चपरासी, अब हैं आईएएस अफसर

UPSC की परीक्षा को दुनिया की सबसे टफ परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इसे पास करने का सपना तो हर कोई देखता है लेकिन इसे पास केवल चुनिंदा लोग ही कर पाते हैं।

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हरियाणा के IAS अधिकारी की कहानी, कभी BDO ने नहीं रखा था चपरासी, अब हैं आईएएस अफसर

IAS Officer Maniram Sharma Success Story: UPSC की परीक्षा को दुनिया की सबसे टफ परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इसे पास करने का सपना तो हर कोई देखता है लेकिन इसे पास केवल चुनिंदा लोग ही कर पाते हैं। क्योकि इसे पास करने के लिए दिन रात मेहनत करनी पड़ती है। 

इसके साथ ही लगभग हर विषय का ज्ञान होना भी जरूरी है। इस परीक्षा को पास करने वालों में एक नाम मनीराम शर्मा का भी है,  जिन्होंने कड़ी मेहनत के बाद इसमें सफलता पाई। 

आज हम आपको देश के एक ऐसे आईएएस अफसर की कहानी बता रहे हैं जिनको सुनकर आपको भी हैरानी होगी। ये आईएएस अधिकारी हैं मनीराम शर्मा। इनको कभी बीडीपीओ ने चपरासी की नौकरी देने से इंकार कर दिया था, लेकिन अपनी लगन और मेहनत से आज से आईएएस अधिकारी हैं।

नहीं मिली थी चपरासी की नौकरी

दरअसल, राजस्थान के रहने वाले मनीराम शर्मा, जो बचपन से ही बहरे थे, उन्होंने चपरासी की नौकरी न मिलने के बाद ऐसी मेहनत की कि आगे चल कर वे एक आईएएस ऑफिसर (IAS Officer) बन गए। 

मनीराम शर्मा राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले थे। उनका बचनप बेहद गरीबी में गुजरा था। मनीराम के पिता एक मजदूर थे। हालत कुछ ऐसी थी कि मनीराम को रोजाना स्कूल जाने के लिए 5 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था।

घर के हालात थे बहुत खराब 

मनीराम के घर के हालात कुछ ठीक ना थे। उनके पिता चाहते थे कि मनीराम जल्द से ज्लद नौकरी पर लग जाए, ताकि घर के आर्थिक हालातों को सुधारा जा सके। इसलिए जब मनीराम ने कक्षा 10वीं की परीक्षा पास कर ली, तो उनके पिता उन्हें एक जगह चपरासी की नौकरी दिलवाने के लिए ले गए। 

लेकिन वहां उन्हें कहा गया कि यह तो बहरा है, इसे ना ही घंटी की आवाज सुनाई देगी और ना ही यह किसी की आवाज सुन पाएगा। ऐसे में इसे यह नौकरी कैसे दे दें। यह सुनकर मनीराम काफी दुखी हुए, लेकिन उन्होंने अपने पिता को विश्वास दिलाया कि वे एक दिन जरूर बहुत बड़े आदमी बनेंगे और किस्मत भी शायद कुछ ऐसी ही चाहती थी।

फिर शुरू की परीक्षा की तैयारी

उन्होने कॉम्पिटीटिव परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। जल्द ही उन्होंने क्लर्क की परीक्षा पास कर डाली। इसी के साथ उन्होंने अलवर से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। बता दें कि वे साथ ही साथ बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया करते थे। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने PhD के लिए स्कॉलरशिप भी हासिल की, जिसके बाद उन्होंने UPSC परीक्षा पास कर IAS Officer बनने की ठानी।

मनीराम ने पहली बार साल 2005 में यूपीएससी की परीक्षा पास की, लेकिन उन्हें उनके बहरेपन की वजह से नौकरी नहीं मिल सकी। इसके बाद उन्होंने दोबारा प्रयास करा और इस बार उन्हें नौकरी भी मिल गई लेकिन उन्हें पोस्ट एंड टेलीग्राफ अकाउंट्स में नौकरी दी गई थी। जबकि मनीराम आईएएस बनने का सपना लेकर इस परीक्षा को दे रहे थे। 

हालांकि, कहते हैं न, जो लगातार मेहनत करता है, भगवान भी उसी की मदद करता है। इस बार मनीराम ने अपने कानों का ऑपरेशन करवाया, जिसके बाद उन्हें अच्छे से सुनाई देने लगा। अब साल 2009 में मनीराम ने फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार वे आईएएस बन गए।

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