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जज्बे को नहीं भेद पाया दिल का छेद, सेल्फ स्टडी के दम पर सिविल जज बनी हरियाणा की बेटी

सच्ची लगन और कड़े परिश्रम की बदौलत अगर जीवन में आगे बढ़ा जाए तो किसी भी लक्ष्य को हासिल करना आसान हो जाता है। इस बात को सार्थक साबित कर दिखाया है, हिसार जिले के गांव खैरी की बेटी गुरिया ने, जिसने आर्थिक हालातों का बहाना न बनाते हुए सेल्फ स्टडी के दम पर सिविल जज का पद हासिल किया है।
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जज्बे को नहीं भेद पाया दिल का छेद, सेल्फ स्टडी के दम पर सिविल जज बनी हरियाणा की बेटी 

Hisar News: सच्ची लगन और कड़े परिश्रम की बदौलत अगर जीवन में आगे बढ़ा जाए तो किसी भी लक्ष्य को हासिल करना आसान हो जाता है। इस बात को सार्थक साबित कर दिखाया है, हिसार जिले के गांव खैरी की बेटी गुरिया ने, जिसने आर्थिक हालातों का बहाना न बनाते हुए सेल्फ स्टडी के दम पर सिविल जज का पद हासिल किया है।

सिविल जज बनी गुरिया ने गरीबी और संसाधनों का अभाव होने के बावजूद भी मेहनत और दृढ़ निश्चय के दम पर इस मुकाम को हासिल किया है। कुछ पंक्तियां उन पर सटीक बैठती हैं कि मैं कैसे हार मान लूं, मैं मेहनत के दम पर अपनी मंजिल पाने आई हूं।

9 महीने पहले उठा पिता का साया

मुस्लिम समाज की बेटी गुरिया ने बताया कि इस सफर तक पहुंचना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। घर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि किसी प्रतिष्ठित कोचिंग सेंटर पर जाकर पढ़ाई कर सकूं। दिल में छेद होने की वजह से अक्सर तबीयत भी ठीक नहीं रहती थी।

अपनी दिल की बीमारी के चलते पढ़ाई करने में दिक्कत आ रही थी लेकिन इसके बावजूद भी सात से आठ घंटे लगातार सेल्फ स्टडी की। किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और नौ महीने पहले पिता का साया सिर से उठ गया था। हौसला मजबूत बनाएं रखा और दृढ़ संकल्प के साथ पढ़ाई को जारी रखते हुए मंजिल को हासिल कर लिया।

ग्रामीणों ने किया सम्मानित

गांव खैरी के रहने वाले महेंद्र खान की बेटी गुरिया का सिविल जज के पद पर चयन होने के बाद स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ग्रामीणों ने उसका स्वागत किया। सरपंच प्रतिनिधि ने कहा कि बेटी गुरिया ने गांव का नाम रोशन किया है। 

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