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हरियाणा के दिव्यांग साकेत कुंडू ने जर्मनी में दिखाया जलवा, दो इवेंट में मेडल जीतकर हिंदुस्तान का नाम किया रोशन

कहते हैं हौसलों में उड़ान भरी हों तो मुसीबतें भी बंदे का रास्ता नहीं रोक सकती हैं। इस कहावत को हरियाणा के एक दिव्यांग खिलाड़ी साकेत कुंडू ने सार्थक साबित कर दिखाया है।
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हरियाणा के दिव्यांग साकेत कुंडू ने जर्मनी में दिखाया जलवा, दो इवेंट में मेडल जीतकर हिंदुस्तान का नाम किया रोशन 

Sonipat News: कहते हैं हौसलों में उड़ान भरी हों तो मुसीबतें भी बंदे का रास्ता नहीं रोक सकती हैं। इस कहावत को हरियाणा के एक दिव्यांग खिलाड़ी साकेत कुंडू ने सार्थक साबित कर दिखाया है। साकेत ने अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बल्कि अपना हथियार बनाया। 

आज दिव्यांग साकेत अपनी शारिरिक कमजोरी को ताकत बनाकर कामयाबी की नई इबारत लिख रहा है। साकेत कुंडू भले ही अपनी जुबान से खुद का नाम नहीं ले सकता है लेकिन उसने हरियाणा और हिंदुस्तान के नाम का डंका विश्व पटल पर बजा दिया है।

जर्मनी में दिखाया जलवा 

सोनीपत निवासी दिव्यांग खिलाड़ी साकेत कुडूं ने जर्मनी में आयोजित प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए एक नहीं बल्कि दो-दो मेडल जीते हैं। जर्मनी में आयोजित स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में उसने जैवलिन थ्रोअर में रजत और 400 मीटर दौड़ प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर हिंदुस्तान का नाम रोशन किया है।

स्पेशल ओलंपिक में मेडल जीतना अगला लक्ष्य

जर्मनी में परचम लहराने के बाद घर लौटें साकेत कुंडू का जोरदार स्वागत किया गया। साकेत के सम्मान में उसके स्कूल में छोटा सा सम्मान- समारोह आयोजित किया गया था, जहां उसे फूल-मालाएं पहनाई गईं और 21 हजार की नकद राशि देकर सम्मानित किया गया।

मात्र 18 साल की उम्र में साकेत कुंडू की इस कामयाबी पर परिजन खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। उन्हें अपने बेटे पर गर्व महसूस हो रहा है। वहीं साकेत ने अपनी इस कामयाबी के पीछे अपने कोच और परिजनों का सबसे बड़ा योगदान बताया है। साकेत ने कहा कि अब अगला लक्ष्य स्पेशल ओलंपिक में मेडल जीतकर हरियाणा और हिंदुस्तान का नाम रोशन करना है और इसके लिए वो पहले से ज्यादा मेहनत करेंगे।

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