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बस कंडक्टर की बेटी ने परिवार से छुपाकर बिना कोचिंग पहले अटेंपट में क्रैक की UPSC, बनीं IPS ऑफिसर

Success Story, IPS Officer Shalini Agnihotri: शालिनी कॉलेज के बाद घर वालों को बिना बताए यूपीएससी की तैयारी किया करती थीं. उन्होंने घर वालों को तैयारी की जानकारी इसलिए दी क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि यह परीक्षा बेहद कठिन है और अगर वे पास नहीं हुई तो उनके घरवाले बेहद निराश हो जाएंगे. 
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बस कंडक्टर की बेटी ने परिवार से छुपाकर बिना कोचिंग पहले अटेंपट में क्रैक की UPSC, बनीं IPS ऑफिसर

Success Story, IPS Officer Shalini Agnihotri: किसी ने क्या खूब कहा है कि "मेहनत इतनी खामोशी से करो की आपकी कामयाबी शोर मचा दे". ऐसी ही कहानी है हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के छोटे से गांव ठठ्ठल की रहने वाली आईपीएस ऑफिसर शालिनी अग्निहोत्री (IPS Officer Shalini Agnihotri) की, जिन्होंने बिना अपने घर वालों को बताए यूपीएससी की सिविल सर्विस एग्जाम (UPSC Civil Service Exam) की तैयारी करी और अपने पहले ही प्रयास में परीक्षा पास कर आईपीएस ऑफिसर (IPS Officer) बन गईं.

मां के अपमान के कारण बनी ऑफिसर
शालिनी के आईपीएस बनने के पीछे भी एक खास वजह है, जिसको लेकर उन्होंने अपने बचपन का एक किस्सा बताया है, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि वे एक बार अपनी मां के साथ बस से ट्रैवल कर रही थीं और उसी दौरान एक व्यक्ति ने उनकी मां की सीट के पीछे अपना हाथ लगा रखा था, जिससे उन्हें बैठने में असहजता महसूस हो रही थी. ऐसे में उन्होंने कई बार उस व्यक्ति को अपना हाथ हटाने को कहा, लेकिन उसने अपना हाथ बिल्कुल नहीं हटाया. शालिनी की मां के द्वारा बार-बार कहे जाने के बाद वह व्यक्ति गुस्सा हो गया और कहने लगा कि तुम कहां की कलेक्टर लग रही हो, जो तुम्हारी बात सुनी जाए. जब यह बात शालिनी के कानों में पड़ी तो वह सह ना सकी और उसी दिन उन्होंने यह ठान लिया कि वह बड़ी होकर ऑफिसर बनेंगी और ऐसे लोगों को उनकी सही जगह दिखाएंगी. 

ग्रेजुएशन को दौरान ही शुरू की UPSC की तैयारी
मीडिया रिपोर्ट् के अनुसार, शालिनी ने कक्षा 10वीं में 92% अंक हासिल किए थे, लोकिन वो कक्षा 12वीं में केवल 77% अंक लाने में ही सफल हो पाई. इसके बावजूद उन्हें उनके माता-पिता ने उन पर विश्वास जताया और आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद उन्होंने पालमपुर स्थित हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. हालांकि, शालिनी ने ग्रेजुएशन को दौरान ही यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी थी.  

घर वालों को बिना बताए की UPSC की तैयारी 
बता दें कि शालिनी कॉलेज के बाद घर वालों को बिना बताए यूपीएससी की तैयारी किया करती थीं. उन्होंने घर वालों को तैयारी की जानकारी इसलिए दी क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि यह परीक्षा बेहद कठिन है और अगर वे पास नहीं हुई तो उनके घरवाले बेहद निराश हो जाएंगे. इसके अलावा उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए कोई कोचिंग नहीं ली थी और ना ही किसी बड़े शहर का रुख किया था.

कंडक्टर पिता ने किए बच्चों के सपने पूरे
शालिनी के पिता रमेश अग्निहोत्री एक बस कंडक्टर थे, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक की उन्होंने शालिनी की बड़ी बहन के डॉक्टर बनने के सपने को भी पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की. वहीं शालिनी के भाई ने एनडीए पास करके इंडियन आर्मी ज्वॉइन की है.

पहले ही अटेंपट में क्रैक की UPSC परीक्षा
शालिनी ने मई 2011 में यूपीएससी का अपना पहला अटेंपट दिया था और उनकी तैयारी इतनी पक्की थी कि उन्होंने अपने पहले ही अटेंपट में देश की सबसे कठिन परीक्षा पास कर डाली थी. उन्होंने ऑल इंडिया में 285वीं रैंक हासिल की और उन्होंने इंडियन पुलिस सर्विस (Indian Police Services) का चयन किया.

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