Jobs Haryana

IAS Ramvilas Yadav आय से अधिक संपत्ति मामले में गिरफ्तार, संपति का आंकड़ा जानकर आँखे रह जाएंगी खुली, जाने पूरा मामला

 | 
IAS Ramvilas Yadav आय से अधिक संपत्ति मामले में गिरफ्तार, संपति का आंकड़ा जानकर आँखे रह जाएंगी खुली, जाने पूरा मामला 

आय से अधिक संपत्ति के मामले में उत्तराखंड सतर्कता विभाग ने गुरुवार को आय से 540 गुना अधिक संपत्ति के मामले में उत्तराखंड सतर्कता विभाग ने अपर सचिव राम विलास यादव को देहरादून से गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया है. इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने बुधवार को यादव के निलंबन के आदेश जारी किए थे.राम विलास यादव ने गिरफ्तारी से बचने के लिए उच्च न्ययालय का दरवाजा खटकाया था, जिसमें अदालत ने कोई राहत न देते उन्हें सतर्कता विभाग के सवालों का सामना करने के लिए आदेश दिए थे. 

क्या है पूरा मामला?

लखनऊ के सामाजिक कार्यकर्ता हेमन्त कुमार मिश्रा ने उत्तराखंड शासन के अपर सचिव डॉ. रामविलास यादव के खिलाफ आय से अधिक सम्पति की शिकायत की थी. मिश्रा ने मामले में जांच के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय और उत्तर प्रदेश शासन को शिकायत की थी. इस पर संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018 में सतर्कता विभाग को रामविलास यादव के विरुद्ध जांच करने के आदेश दिए थे. जांच के बाद सतर्कता विभाग ने खोजबीन कर दस्तावेज और तथ्य जुटाकर सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी.  

यूपी के जिलों में मिली प्रॉपर्टी

रिपोर्ट जमा होने के बाद उत्तराखण्ड सरकार ने भी अप्रैल 2022 में राम विलास यादव के खिलाफ अभियोग चलाये जाने की अनुमति दे दी थी. इसके बाद सतर्कता विभाग ने आईएएस अधिकारी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था. शिकायत के बाद उत्तर प्रदेश में डॉ. राम विलास यादव की सम्पतियों का एक के बाद एक खुलासा होने लगा था. बताया जा रहा है कि यादव का लखनऊ के दिलकुशा विहार कॉलोनी में बड़ा बंगला है. उनका यही पर कुर्सी रोड में एक सरकारी भूमि पर जनता विद्यालय के नाम से स्कूल भी है. 

गाजीपुर जिले में लाखों की 2 जमीनें

जांच में पत्नी कुसुम विलास के नाम से गाजीपुर जिले में लाखों की 2 जमीनें मिलीं हैं. रामविलास यादव ने देहरादून, लखनऊ और गाजियाबाद में 2013 से 2016 तक करोड़ों की जमीन और फ्लैट खरीदे थे. इसके बाद उत्तराखंड में गाजीपुर निवासी डॉ. राम विलास यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दायर किया गया था. सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत मिश्र का आरोप है कि उनके साथ राम विलास यादव के इशारे पर पुलिस ने बर्बरता की है. झूठे मामलों में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं.

यूपी और उत्तराखंड में तैनात रहे

1992 में राम विलास यादव ने पीसीएस की परीक्षा उतीर्ण की थी, जिसके बाद वह डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त हुए और 2016 तक उत्तर प्रदेश में कई पदों पर रहे. इसमें लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव का पद भी शामिल है. इसके बाद उन्होंने अपनी तैनाती उत्तराखंड स्थानांतरित करवा ली. यहां वह अपर सचिव, कृषि के पद पर तैनात थे. 

पत्नी को भी किया गया तलब

इस मामले में रामविलास यादव की पत्नी कुसुम यादव को भी तलब किया गया है. सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर कार्यालय देहरादून में पुलिस अधीक्षक रेणु लोहानी और पुलिस उपाधीक्षक अनूप से संतोषजनक जवाब न मिलने की वजह से यादव को गिरफ्त में लिया गया और अब न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद सतर्कता विभाग उन्हें रिमांड में लेने की तैयारी कर रहा है. इस मामले में सतर्कता विभाग के निदेशक अमित सिंह ने बताया कि राम विलास यादव की सम्पति के मामले में छान बीन चल रही है और उनकी पत्नी को भी बुलाया गया है कि यादव की सम्पति में उनकी पत्नी का भी नाम है. 

Latest News

Featured

You May Like