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OPS Big Update: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, OPS को लेकर सरकार ने दिया बड़ा अहम अपडेट

कर्नाटक और महाराष्ट्र के सरकारी कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग को लेकर हड़ताल पर जाने का ऐलान किया। इसके बाद दोनों राज्य सरकारों ने एक कमेटी गठित कर रिपोर्ट देने को कहा है।
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केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, OPS को लेकर सरकार ने दिया बड़ा अहम अपडेट

OPS Big Update: कर्नाटक और महाराष्ट्र के सरकारी कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग को लेकर हड़ताल पर जाने का ऐलान किया। इसके बाद दोनों राज्य सरकारों ने एक कमेटी गठित कर रिपोर्ट देने को कहा है।

इससे पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में पुरानी पेंशन योजना बहाल की जा चुकी है। पुरानी पेंशन को लेकर अलग-अलग राज्यों में आई तेजी के बाद चर्चा थी कि केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस भी बहाल कर सकती है।

राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में जवाब दिया

वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में चर्चा का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के प्रस्ताव पर किसी भी तरह से विचार नहीं कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जो राज्य सरकारें पुरानी पेंशन वापस करना चाहती हैं। उन्हें एनपीएस के तहत जमा राशि वापस नहीं मिलेगी। इसे लेकर पीएफआरडीए एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है।

संचित धन की वापसी की मांग

केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने वाले गैर-भाजपा शासित राज्य एनपीएस में जमा पैसे वापस करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन पीएफआरडीए अधिनियम में इस कोष की वापसी का कोई प्रावधान नहीं है। केंद्र को राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और पंजाब सरकार के ओपीएस बहाल करने के फैसले से अवगत करा दिया गया है। साथ ही, इन राज्य सरकारों ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत जमा धन की वापसी के लिए अनुरोध किया है।

कराड ने दोहराया कि पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2013 के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। जिसके तहत अंशदाताओं की संचित राशि वापस की जा सके। कराड ने बताया कि केंद्र सरकार 1 जनवरी, 2004 के बाद भर्ती हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संबंध में ओपीएस बहाल करने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। इसे 1 जनवरी, 2004 से सरकारी सेवा (सशस्त्र बलों को छोड़कर) में सभी नई भर्तियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया था।
 

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