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Buffalo Subsidy : सरकार दे रही है मुर्रा नस्ल की भैंस पालने पर इतनी सब्सिडी, रोजाना देती है 30 लीटर दूध, कुछ ही महीनों मे बन जाएंगे लखपति

देश में गौ-भैंसों का पालन और पशुपालन की परंपरा अपनाने का मामूला है, जो प्राचीन काल से चलता आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले अधिकांश परिवार खेती और पशुपालन से जुड़े हैं, और इससे दूध और अन्य उत्पादों के व्यापार से अपना जीवन यापन करते हैं।
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सरकार दे रही है मुर्रा नस्ल की भैंस पालने पर इतनी सब्सिडी, रोजाना देती है 30 लीटर दूध, कुछ ही महीनों मे बन जाएंगे लखपति

Murrah Buffalo : देश में गौ-भैंसों का पालन और पशुपालन की परंपरा अपनाने का मामूला है, जो प्राचीन काल से चलता आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले अधिकांश परिवार खेती और पशुपालन से जुड़े हैं, और इससे दूध और अन्य उत्पादों के व्यापार से अपना जीवन यापन करते हैं। आज, किसान भाइयों द्वारा अधिक लाभ कमाने के लिए हमारे देशी और विदेशी नस्लों के गौ-भैंसों का पालन किया जा रहा है। 

किसान भैंसों के पालन के मामूले में गौ-भैंसों को पसंद करते हैं, क्योंकि भैंस गौ की तुलना में अधिक दूध देती है और उसका दूध गाढ़ा होता है। इसी कारण डेयरी फार्मिंग के लिए भैंसों के पालन का विचार किसान द्वारा अधिक उचित माना जाता है। आज, देश के कई राज्यों में ऐसी बहुत सी नसलें हैं, जो अधिक दूध उत्पादन करने की क्षमता रखती हैं।

इसमें से एक नसल 'मुर्रा' नामक भैंस की है। यह नसल अन्य नसलों की तुलना में अधिक दूध देती है। हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, और बिहार के राज्य सरकारें किसानों को मुर्रा नसल की गौ-भैंस के पालन पर उनके निर्धारित नियमों के अनुसार 40-50% तक सब्सिडी भी प्रदान करती हैं। 

अगर आप भी डेयरी उद्योग के लिए अधिक दूध देने वाली उत्तम गौ-भैंस की तलाश कर रहे हैं, तो आप मुर्रा नसल की गौ-भैंस का पालन कर सकते हैं। इस लेख में, हम आपको मुर्रा नसल की गौ-भैंस के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

"भैंस की मुर्रा नस्ल (Murrah Breed Buffalo)" - डेयरी फार्मिंग के व्यापार में, मुर्रा नस्ल की भैंस को उपयुक्तता के कारण पशुपालक विशेष प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि मुर्रा नस्ल की भैंस दूध की उत्पादन क्षमता में अधिक सुधार करने वाली नस्ल है। ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले किसान बड़ी संख्या में मुर्रा नस्ल की भैंस का पालन करते हैं और इससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है। 

मुर्रा नस्ल भैंसों की दूध उत्पादन क्षमता अन्य नस्ल की भैंसों के मुकाबले बहुत अधिक होती है। जहाँ सामान्य भैंसों की दूध की उत्पादन क्षमता दिन में 8 से 10 लीटर होती है, वहीं, मुर्रा नस्ल की भैंसें दिन में 20-25 लीटर दूध देती हैं। अगर इसका अच्छा से ध्यान रखा जाए, तो उनकी दूध उत्पादन क्षमता को 30 लीटर प्रतिदिन तक बढ़ाया जा सकता है.

"मुर्रा नस्ल की भैंस का पालन" - हरियाणा, पंजाब, नाभा, पटियाला, दिल्ली, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश के पशुपालकों के द्वारा मुख्य रूप से किया जाता है, जो मुर्रा नस्ल की भैंस को पालते हैं। मुर्रा भैंस की नस्ल की कीमत कई लाख रुपए तक होती है, और इसका वजन सामान्य भैंस से अधिक होता है। इसका आकर्षणकारी दिखने में विशेषत: है, क्योंकि इसका सिर छोटा होता है, इसके सिर पर सींग होता है, और इसकी पूंछ लंबी होती है, और उसके बाल और पैर सुनहरे होते हैं। मुर्रा नस्ल की भैंस की गर्भावधि लगभग 310 दिनों की होती है.

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, मध्य प्रदेश सरकार, द्वारा मुर्रा नस्ल की भैंस के पालन करने वाले किसानों और पशुपालकों को 50% से अधिक सब्सिडी प्रदान की जाती है. यह सब्सिडी गौवंश विकास को बढ़ावा देने और रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से दी जाती है. इसके लिए मुर्रा नस्ल की भैंस की खरीद पर 50% सब्सिडी दी जाती है और एससी-एसटी वर्ग के लिए 75% तक की सब्सिडी दी जाती है.

हरियाणा में, छोटे किसानों और शिक्षित युवा किसानों को हाईटेक और मिनी डेयरी उद्योग शुरू करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। सरकार ने हाईटेक और मिनी डेयरी योजना के तहत 10 दुधारू गाय-भैंसों के लिए मिनी डेयरी शुरू करने पर लागत का 25% का अनुदान और 20 या उससे अधिक दुधारू पशुओं के साथ डेयरी शुरू करने पर ब्याज में छूट देती है। 

इसके अलावा, योजना के तहत अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को 50% की सब्सिडी पर 3 गाय-भैंसों की डेयरी खोलने का अवसर मिलता है और 20 या उससे अधिक दुधारू पशुओं के साथ उच्चतम 4 दुधारू गाय-भैंसों के साथ हाईटेक डेयरी खोलने पर ब्याज में छूट दी जाती है। इस योजना का लाभ पाने के लिए आवेदकों को पशुपालन एवं डेयरी विभाग, हरियाणा सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर आवेदन करना होगा या अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क करना होगा।

बिहार में, नंद बाबा मिशन के अंतर्गत पशुपालकों को खेती के साथ पशुपालन क्षेत्र से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। यह योजना पूरे राज्य में गौ संवर्धन के लिए चलाई जाती है और इसके अंतर्गत किसानों और पशुपालकों को उनकी डेयरी उद्योग की शुरुआत पर 50% से 75% तक की सब्सिडी दी जाती है।

 इसके तहत, योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति, जनजाति, और सामान्य वर्ग के लोगों को 2 या 4 दुधारू गाय-भैंसों की डेयरी खोलने पर विभिन्न लाभ दिया जाता है। उन्हें इस योजना के तहत गाय-भैंसों का पालन कर और योजना के अंतर्गत दी जाने वाली छूटों का लाभ उठाने के लिए अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क करना होगा।

उत्तर प्रदेश में, नंद बाबा मिशन के तहत किसानों और पशुपालकों को गौ संवर्धन योजना के द्वारा 40,000 रुपये या 40% तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है। सरकार की इस योजना का उद्देश्य पशुपालन क्षेत्र को बढ़ावा देना है और देशी गाय-भैंसों की ऊर्जा को सुधारने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना है। योजना के तहत गाय-भैंसों की डेयरी की शुरुआत पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसानों को अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क करना होगा।


 

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