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Haryana News: हरियाणा में 14 अगस्त की मध्यरात्रि से बदल जाएंगे 509 सरकारी स्कूलों के नाम, इसके पीछे बेहद खास है सरकार की मुहिम

हरियाणा सरकार शहीदों को श्रद्धांजलि देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रही है। हालांकि इस मुहिम की शुरुआत एक साल पहले हिसार जिले के गांव ढंढेरी से डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने की थी लेकिन अब यह पूरे प्रदेश में लागू हो गई है।
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हरियाणा में 14 अगस्त की मध्यरात्रि से बदल जाएंगे 509 सरकारी स्कूलों के नाम, इसके पीछे बेहद खास है सरकार की मुहिम

Haryana News: हरियाणा सरकार शहीदों को श्रद्धांजलि देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रही है। हालांकि इस मुहिम की शुरुआत एक साल पहले हिसार जिले के गांव ढंढेरी से डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने की थी लेकिन अब यह पूरे प्रदेश में लागू हो गई है। इस बार स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त के दिन से प्रदेश के 509 सरकारी स्कूलों के नाम औपचारिक रूप से देश की रक्षा में शहीद हुए हरियाणा के वीर जवानों के नाम पर किये जाएंगे।

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि 14 अगस्त की मध्यरात्रि से राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के सभी रिकॉर्ड में और वेबसाइट पर इन सरकारी स्कूलों का नामकरण बदलकर शहीदों के नाम पर अपडेट कर दिया जाएगा।

बता दें कि पिछले साल 15 अगस्त 2022 को हांसी क्षेत्र के ढंढेरी गांव के निशांत मलिक की जम्मू- कश्मीर में शहादत होने पर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला शहीद के घर उनके गांव ढंढेरी गए थे और उसी दिन शाम तक गांव के स्कूल के बोर्ड पर नया नाम लिखवा दिया था। इसके बाद कई अन्य अवसरों पर भी उपमुख्यमंत्री और सरकार की तरफ से कई गांवों में स्कूलों के नाम वहां के शहीदों के नाम पर रखे जाने की घोषणा हुई।

अब राज्य के 358 हाई या सीनियर सेकेंडरी स्कूल और 151 मिडिल या प्राइमरी स्कूलों के नाम उन गांवों के बहादुर जवानों के नाम पर होंगे जिन्होंने देश के लिए सर्वोत्तम बलिदान दिया। इनमें सबसे ज्यादा रेवाड़ी जिले के 94, भिवानी जिले के 85 और जींद जिले के 61 स्कूल शामिल हैं।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले शहीद जवानों का देश हमेशा ऋणी रहेगा। उनका बलिदान अतुलनीय है। गांव की तरक्की और भविष्य निर्माण की धुरी वहां के सरकारी स्कूलों का नामकरण उसी गांव के वीर जवान के नाम पर करके राज्य सरकार अपनी तरफ से एक छोटी सी कोशिश कर रही है। ताकि इन वीर जवानों की कहानियां और बहादुरी के किस्से आने वाली पीढ़ियां भी सुन सकें।

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